शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

Release 1118 धरती जीवन और लोकतंत्र की सेवा व सुरक्षा के पहली गिरफ्तारी पहली कैद.... तब हमने जीत या मौत का फैसला लेकर जेल में भूख हडताल शुरू कर दी पर रिश्वत देना गुलामी स्वीकार करना नही माना... तब हमे बडा शारीरिक नुकसान देने का षड्यंत्र बनाया जाने लगा....

26.09.2011 12.27 pm चौकी द्वारिका कोर्ट में जामा तलाशी के बाद समान जब्त कर लिया गया
और द्वारिका कोर्ट की हवालात में शाम करीब 7 बजे तक रखा गया  
फिर तिहाड़ जेल न. 5 वार्ड न. 2 बैरिक न. 2 मे 32 कैदियों के साथ रखा
यहीं हमने भूख हडताल की  
7.10.2011 को वार्ड न. 3 बैरिक न. 6 में 36 खतरनाक कैदियों के साथ रखा गया
कैद में सरकार को रिश्वत ना देने के कारण व गुलामी स्वीकार ना करने के कारण सरकार ने हमारी जीवन आधारित सामान व सुविधाओं मे 75% तक कमी कर दी
हमने जीत या मौत का फैसला लेकर भूख हडताल शुरू कर दी पर रिश्वत देना गुलामी स्वीकार करना नही माना  
तब हमे बडा शारीरिक नुकसान देने का षड्यंत्र बनाया जाने लगा
तब हमने कैद से निकलने का फैसला ले लिया
और ...... के द्वारा किसी से करीब पचास हजार रुपये उधार लेकर रिहाई का आदेश पास कराया और उसने मुझे रिहा करा कर नया जीवन दान दिया
उनका में सदैव एहसान मानता रहूँगा
उन्होंने मुझे नही धरती पर 7 अरब लोगों को मुक्त कराने का काम किया है
पर वो नहीं जानता कि उसने किसको आज़ाद कराया है    
ईश्वर की कृपा से तीन महीने की जगह बीस दिनों की कैद के बाद 15.10.2011 को शाम 8.15 मिनट पर हमारी रिहाई हो गई
जेल को सुधार ग्रह कहा जाता है पर हम तो तिहाड़ जेल और सभी जेलों को अपराध का विद्यालय और घोर नरक कहेंगे, और सरकार को नरक के क्रूर दूत  
कैद मे इस्तेमाल किये जाने वाले सामान का चित्र

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