जीविका
विश्व में मौजूदा व भविश्य में आने वाली हमारी पीढियों को जीवन भर जीविका
की व्यवस्था उपलब्ध कराते रैहैने के लिये यूएनएस का कानून
जीविका
का मतलब है जीवित रैहैने योग्य तत्व (जीयोत) व अतिरिक्त तत्व (अत्व) यानी व्यवस्था
का आधार मौज मस्ती सुख चैन खुशियां
जीयोत
ईश्वरीय सम्पदा है जिसे हम प्रक्रति ईश्वर की मर्जी व ईश्वर का कानून कैहैते हैं
जब
इन्सान ईश्वरीय कानून को मान कर उसे और अधिक सुरक्षित सुविधाजनक असर्दार दीर्घायू विश्वसनीय
सुखमय बनाता है तो वह अतिरिक्त तत्व (अत्व) को जन्म देता है यानी इन्सान द्वारा बनाये
गये कानून
यदि
ये कहा जाये कि इन्सान ईश्वर के कानूनों को अपग्रेड करता आ रहा है तो गलत ना होगा
यहां
ये कैहैना गलत है कि इन्सान ने ईश्वर के कानूनों को तोड कर नास्तिकता को अपना लिया
है
इन्सान
के प्रयास ईश्वर के ध्यान दिलाने व चाहत के बिना पूरे नही होते इसे इस उदाहरण से समझा
जा सकता है इन्सान दवा दारू दे दे सकता है पर मरीज ठीक होगा या नही ये ईश्वर की चाहत
पर ही आधारित है यानी ईश्वर के कानून पर आधारित है
जीयोत
व अत्वों को यूएनएस से कैसे प्राप्त करें?
मौजूदा
समय में विश्व में कानून लागू है कि हर प्राणी जीयोत व अत्वों का हक्क्दार है
पर
कानून के सेवकों की कई पीढियां बदलने से नई पीढी उन महान उद्देश्यों की गैहैराई को
नही छू पाई जिन्हें उनके महान पूर्वजों ने महान उद्देश्यों की पूर्ती के लिये बनाया
था इसी कमी के कारण नई पीढी में ताकत व सही का अनुपात बराबर करने की काबलियत समाप्त
होती चली गई इसी कारण वे गिरोह की तरह भी काम करने लगे व खुद को कानून से बडा समझने
लगे परिणाम यह हुआ कि वह करीब 20160 इन्सानों की रोज हत्यायें करने लगे हत्यायें करते
रहने व जबाबदारी व दण्ड से बचने के लिये उन्होंने मौजूदा कानून को किले की दीवारों
की तरह गिरोह के सदस्यों की सुरक्षा के लिये इस्तेमाल करना जारी रखा और प्रिथ्वी दुर्लब
मानव शरीर प्राप्त करने के मजे मौज मस्ती दीर्घायू खौफ़रहित जीवन सुख चैन सब खो बैठे
अपना भी व अपने मालिकों का भी अपने मालिकों को तो वह जना हुआ कैहैने लगे ये शब्द अधिकतर
जानवरों के जन्म के समय इस्तेमाल किया जाता है यानी आदर वाचक शब्द मानव व मालिक कैहैने
में उन्हें डर लगने लगा कि हक्क ना देना पड जाये, तब ईश्वर ने फ़िर से उन्हीं प्रारम्भिक
महान उद्देश्यों की स्थापना के लिये हमे जरूरत अनुसार सब दे कर स्मरण कराया व हमारे
हर प्रयास को सफ़ल बनाना जारी रखा ईश्वर ने हमें दुख देना बन्द नही किये क्यों कि वह
हमारे मन में बैठा चुके थे कि जो दुख में तुझे दे रहा हूं वही दुख यूएन के गिरोह ने
सभी प्राणियों को देना जारी रखा है अगर गिरोह नहीं मानता तो तू विश्व व्यवस्था का प्रयास
तेज कर मे तेरे हर प्रयास को सफ़ल बनाता जाउंगा तू तो जरिया है काम तो मैने ही करना
है बस हमने भी ईश्वर की क्षत्रछाया में अपनी क्षमताऔं के अनुसार अपने प्रयास तेज कर
दिये और फ़िर सबसे पैहैले सामने आया कि विश्व के हर प्राणी को उसके सभी हक्क कैसे दिलाये
जायें? कैसे इस व्यवस्था को हमेशा हमेशा के
लिये सुरक्षित रखा जाये कि आने वाली हर पीढी तक इन महान उद्देश्यों को पहुंचाया जा
सके,
गिरोह
तो सन्घार के लिये भैंराता रैहैता है उसने तो शान्ती के उडते हुये सफ़ेद कबूतरों के
चित्रों की जगह परमाणू बम्बों को अपना पोस्टर साइन बना लिया है उसने तो प्राणियों की
हर समस्या का समाधान सन्घार आतन्क और दुख दर्द देना गुलामी कराना तै कर रखा है पर हम
साबित कर सकते हैं कि सब कुछ ठीक रखने पर परिवार सरकार व यूएन के सदस्य नहीं बिगडते,
बिगडते है किसी गलत तत्व के सम्पर्क में आने व गलत गिरोह द्वारा संरक्षण देने से
यूएन
ने हक्कों की लिस्ट बनाई है जिसे कानून कैहैते हैं जो …… पेज पर है पर ये सभी हक्क
किसी के भी पास नही हैं हम ये सभी हक्क देने की घोष्णा कर चुके हैं जिनकी गिनती की
विशालता आकाश में तारों के बराबर मानी जा सकती है जिन्हें पढना समझना याद रखना असम्भन
है पर हमारे द्वारा इसे आसानी से समझाने योग्य बनाया जा चुका है जो सपने, सोच, आदत,
शौक, बातें, काम, योजनायें, मिसन, ओपरेसन, हमले, समानता से जीवन का विकास करें वह सब
ठीक हैं जिन्हें कानून कैहैते हैं जो इसके विपरीत असर करता है वह गलत है जिन्हें सन्घार
कहते है
आज
की ये सुविधाओं से भरी खूबसूरत दुनियां इन्सान के कानूनों का ही नतीजा है पर इसमें
और सुधार की जरूरत पडी जिसे पूरा किया यूएनएस ने, यूएनएस ने देशों को हटा कर विश्व
को मान्यता दी इन्डियन रसिअन व अमेरिकन को हटा कर अर्थिअन की स्थापना की ग्रहों को
हटाकर श्रिष्टि की स्थापना की और इस तरह अस्तित्व में फ़िर से ताजी हो गई वही महान व्यवस्था
जिस महान व्यवस्था को लाखों सालों पैहैले मानव ने महान उद्देश्यों की पूर्ती के लिये
निर्मित व लागू किया था आज की व्यवस्था इस व्यवस्था के सामने गिरोह साबित हो चुकी है
ये कैहैना तो बेहद गलत होगा कि मौजूदा व्यवस्था ने कुछ नही किया या बेकार है पर यूएनएस
की व्यवस्था के सामने ये चीटी के समान है इसी बात से ये अन्दाजा लगाया जा सकत है कि
यूएनएस की ये व्यवस्था कितनी विशाल व दिलों को छू लेने वाली महान व तेज़ है
इस
कानून को पढना समझना सवाल करना और अपनी पसन्द ना पसन्द का जबाब देना, कि आपको आज से
और अधिक ताकतवर तेज़ असरदार समान सही सुविधाओं वाली सही व्यवस्था का वर्जन चाहिये या
नही, ना का तो सवाल ही नही उठता,
मौजूदा
व्यवस्था ने आरोप लगाया कि यूएनएस यूएन पर चढ कर यूएन से बडा बनने की कोशिश कर रहा
है तो यहां पुन: स्पष्ट किया जा रहा है कि कानून बडा है व्यवस्था के मुलाजिम नहीं,
दूसरा हमेसा से अपग्रेड और विकास ऊपरी अन्तिम चरण के ऊपर से ही होता है ना की शुरूआती
चरण से, तीसरा जब तक अपग्रेड व्यवस्था का वर्जन लागू नही होती तब तक मौजूदा व्यवस्था
के ही प्रोटोकोल के अनुसार कार्य करना अन्तिम विकल्प है चाहे मौजूदा व्यवस्था के अधिकारी
का क्षेत्र व ताकत आधुनिक व्यवस्था के क्षेत्र व ताकत से कितनी भी कम क्यों ना हो
आपकी
हर समस्या हक्कों की एक चेन टूटने के कारण होती है जिसके लिये अधिकारियों की एक चेन
व वर्ग जिम्मेदार होता है पर वह गिरोह हक्क मांगने वाले को गलत सन्घारी रास्ते से हमेशा
के लिये कैद कर लंगडा लूला अन्धा कोडी कूबडा बना हक्कों को लूट जलील कर उसका कतल कर
आतन्क फ़ैला इस आतंक से बने सूमसान सन्नाटे दैहैसत व घुटन के माहौल को शान्ति का नाम
दे देता है
अपने
हक्कों व ताकत को जानने के लिये कानून पर क्लिक करो और जानो, या सीधा अपनी परेसानी
हमारे सैकडों सम्पर्क माध्यमों से हमें प्राप्त कराओ और अपने हक्क अपनी जिम्मेदारियों
के साथ हमेशा हमेशा के लिये फोन की रफ़्तार से प्राप्त करो, ये वेव रफ़्तार व ग्लैमर
लाइफ़ स्टाइल की दुनियां का युग है जो पूरी प्रिथ्वी पर अब समानता से सबके लिये है
शिक्षा
पैसा सुरक्षा सम्भोग परिवार धर्म विश्वास मजबूती स्वस्थता दीर्घायू मौज मस्ती सब है
यहां और इसके लिये गुलामी का एग्रीमेन्ट (जोब व दीक्षा) खर्चा आदि करने की कोई जरूरत
नहीं,
अपने
100 रु के काम करने के बदले 2 रुपये प्राप्त करने की कोई जरूरत नहीं 100 के काम के
बदले 100 रुपये ही प्राप्त कराये जायेंगे
आज
का कानून भी ये सब दे रहा है पर गुलामी का एग्रीमेन्ट साइन करा कर सिर्फ़ उनको जिन्होंने
एगीमेन्ट साइन किया है सन्घारों को समर्थन देने का, यानी उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया है उनको नहीं
जो खुद काम करते है और कराते हैं एसे लोग 16 से 20 घन्टे खतर्नाक मौसम में काम कर के
भी इतना नही कमा पाते जितना गिरोह का चपरासी 4 से 6 घन्टे कानूनी व गैर कानूनी तरीके
से काम कर के कमा लेता है इस लिये वह सन्घारी बना रैहैता है और आप को सन्घार सैहैने
वाले वर्ग (फ़सल, चारा) में अपना कतल कराना पडता है ये भेद ही है जिसके कारण यूएनएस
को ये विश्व व्यवस्था तेज करनी पडी आपका बीता जीवन देखा सुना साहा सब बयां कर देगा
कि हमने जो कहा वह कितना सही है व कितना जरूरी है वर्तमान व भविष्य आपका कैरिअर व फ़्यूचर
सिर्फ़ इस फ़ैसले पर निर्भर करता है कि आपने कानूनी व सन्घारी कौन से रास्ते पर चलना
जारी रखा है
आपके मन में ये सवाल जरूर आयेगा
कि यूएन के डन्डे के होते हुये ये सब कैसे सम्भव है जबाब है कि धरती पर यूएन का
राज माना जाता है जब आपकी कोई परेसानी आती है तो उसका जिम्मेदार यूएन है आप सरकारी
मुलाजिमों व इनके निकटतम खबरियों के पास जाते है जो पैहैले से ही यूएन के आदेश
मानने का एग्रीमेन्ट साइन कर चुके होते हैं तो जो परेसानी देने वाला है उसके
मुलाजिम आपकी परेसानी कैसे दूर कर सकते है वे आप के साथ आपराधिक लेन देन करेंगे और
कोई रास्ता ना होने पर आप अपने को अपनों को अपनी मालिकी को लुटवायेंगे, पर जब आप
हमारे पास आयेंगे तो हम यूएन से अलग ठीक यूएन की तरह काम करते हुये आप की परेशानी
दूर कर देंगे, यदि आपको पुलिस कोर्ट सरकार अस्पताल जीविका घर बकील आदि जिस भी चीज
की जरूरत होगी वह यूएन से ली जायेगी यूएन द्वारा समय पर ना देने पर तारीख देने पर टालने
पर सबूत ना देने पर गलत करने पर यूएनएस यूएन की तरह काम करने लगेगा आपकी हर
परेसानी दूर कर देगा
उदाहरण: आप जीविका चाहते हैं
इसके लिये आप काम तलास करते है यूएन आपको जोब नहीं देता या आपको लम्बी अज्ञात
तारीख पर पता करने के लिये कहता है तो हम यूएन को कहेंगे कि आप जैसे कुव्यवस्थापक बैहैरूपिये
ये सन्घारी हरकतें हजारों सालों से करते आये है इस लिये हम आपके भरोसे अपने हक्कों
का कतल नहीं होने देंगे आपकी सन्घारी चाहतें पूरी नहीं होने देंगे क्यों की साबित
हो चुका है कि यूएन गलत है यदि यूएन नही मानता तो अन्तिम विकल्प के साथ हम यूएन की
तरह यूएनएस चलाने के अधिकार रखते हैं फ़िर हम अपनी धन व्यवस्था के तैहैत विधस्था (नोट)
प्रचार करेंगे जो रुपये डालर येन यूरो आदि की तरह पूरे विश्व में यूएन के लोगों के
सिवाय हर इन्सान के साथ यानी हर खुद काम करने वालों के साथ व्यापार करने में
इस्तेमाल किये जायेंगे यूएन के लोगों को इसे इस्तेमाल करने के लिये यूएनएस से
समझोता करना होगा या यूएन को त्यागना होगा यूएनएस विश्व रोजगार व्यवस्था के तैहैत आपके
हुनर के अनुसार आपको काम देगा या आपको काम सिखायगा और आप को रुपये डालर येन यूरो आदि
के नोट की जगह विधस्था (विन) का नोट देगा जो हर देश में लागू नोट के समान वैल्यू
का होगा, यदि कोई बाधा पैदा करेगा तो उसे यूएनएस की पुलिसफ़ोर्स कोर्ट व सुधारग्रह
व्यवस्थित करेंगे यदि अनुपात लगाया जाये तो धरती पर यूएन का 1 और यूएनएस के 60000
लोग हैं यानी एक आदमी के सामने 60000, यूएन को सन्धी करनी ही होगी या वह फ़िर से अज्ञात
समय देकर हमारे व हम जैसों के कतल की कोशिश करेगा और बार बार परमाणू युद्ध हो सकता
है जैहैरीला युद्ध हो सकता है प्रलय आ
सकता है आदि प्रिथ्वी को मानव रहित करने की दैहैशत देता रहेगा व हमला करेगा यूएन
आज भी छुपकर जैहैरीले व हथियारी हमले करके करीब 20160 लोगों का हर रोज कतल कर
भगवान को दोशी बना ही रहा है, तो जब सन्कट भरा जीवन जीना ही है अपनी रक्षा और काम
खुद ही करना है अपने बलबूते ही जीना है तो तो अपनी मालिकों की टीम में ही क्यों ना
मालिक बन कर जियें कम से कम ये मलाल तो नहीं रहेगा कि हमसे किसीने गुलामी तो नही
कराई, हमने कानून के रास्ते पर चलने की कोशिश नहीं की, हमने भगवान के दिखाये
रास्ते पर चलने से इनकार नही किया, अपना और अपनों का कतल कराते हुये नही जिये, आप
ये कह सकते हैं कि इतने झगडों में कौन पडे तो दोस्तो ये तो बताये गये झगडों से आपको
आपके अपनों को व आपकी आने वाली पीढियों को बचाने का रास्ता है झगडों में तो अभी आप
पडे हैं आप बस ऐसे समझो कि आप रोज काम पर जाते है छुट्टी में अपनों के साथ मौज
मस्ती पूजा पाठ सौपिन्ग पार्टि घूमना फ़िरना करते है और फ़िर कल की तैयारी के लिये
फ़िर काम पर चले जाते है कोई दिक्कत हो तो हमें शिकायत करते है आगे का सारा काम 8 अरब
धरतीवासी मिल कर पूरा करते है आप के चारों तरफ़ बस खुशियां बढती हुई नजर आयेंगी आप
जितने सपने देखेंगे यूएनएस की व्यवस्था उतनी मजबूत असरदार सफ़ल व तेज़ होगी फ़र्क सिर्फ़ ये होगा कि
वह खुशियां सिर्फ़ एक वर्ग के पास ना हो कर समानता से हर धरतीवासी के पास होंगी सब का खयाल हमारे
कम्प्यूटर कैमरे सैटेलाइट मसीनें फ़ोर्स सक्षमकर्ता करेंगे यदि धरती पर किसी ने भी
कोई गलत हरकत की तो उसको और उसके समर्थकों को कानूनी समय पर दण्ड अवश्य मिलेगा पुनराव्रिति
की रोकथाम होगी साथ ही पीढित को नुकसान राशी दी जायेगी यदि आप के किसी अपने का कतल
होता है तो कतल करने वाला व उसका कोई अपना प्यारा आप के कतल हुये की जगह जीवन भर
आप के साथ रहेगा सेवायें देगा जैसे आपका अपना देता था जिस प्रकार रेप में महिलाओं
के मानसिक भावनात्मक दर्द के बदले 10 साल तक की सजा व जिम्मेदारी राशी दी जाती है
ऐसे ही मानसिक व भावनात्मक दर्द किसी और अपराध द्वारा दिये जाने पर रेप के बबाबर
सजा दी जायेगी यानी कोई किसी से किसी भी तत्व के लिये जबरजस्ती नहीं कर सकता, बिजिनेस
और क्राइम को मिक्स नहीं रहने दिया जायेगा यदि धन का नुकसान हुआ है तो नुकसान करने
वाले की सम्पत्ति लेके पीढित का नुकसान पूरा कराया जायेगा यानी तालिबान से भी सख्त
होगी ये कानून व्यवस्था पर कानून पर चलने वालों के लिये निष्चिन्त सपनों की
दुनियां आप को बस इतना एहेसास होगा जैसे आज किसी नेता के बदलने का एहेसास होता है
पता ही नहीं चलता बस आपका अपना नेता जो आपके दुख दर्द की गैहैराई को आप से बैहैतर
जानता है यानी जो सुख अभी आप जानते भी नही है वह सुख आप पर वह नेता उडेलता जाता है
इस कानूनी लेख में कुछ भी छुपाने
को या बकवास नही है ये है धरती पर कतल होते आ रहे अधिकारहीन एक वर्ग का विश्व के हर
प्राणी को अधिकारों को दिलाते रहने वाली शसक्त विश्व व्यवस्था को लागू करने का
प्रयास जो आपको सपने दिखाने और उन्हें पूरा करने में आपका साथ देने के प्रयासों का
वचन देता है
हमें पता है कि हर इन्सान को
समानता से काम व अधिकारों को प्राप्त करने की कितनी प्रबल इक्षा है अरबों लोग रोज
शिकायते पूरी ना होने पर रोडों पर अपने अधिकारों की मांग करते करते घायल होते है
लाखों लोगों को विकलांघ बना दिया जाता है हजारों हत्यायें होती हैं यदि इसके बिना
ही इतनी सरलता से सब कुछ मिल जाये बो बुरा ही क्या है
हमें अपने वर्ग पर पूरा विश्वास
है कि जल्द ऐसा समय आयेगा कि यूएनएस और यूएन दौनो मिल कर विधस्था को मजबूती के साथ
उन महान उद्देश्यों की पूर्ती के लिये चलायेंगे जिन महान उद्देश्यों ने जानवर को मानव
और मानव को ईश्वर के समान बनाने की शिक्षा व कानूनों की रचना कर लागू करते हुये
शहीद हुये,
जीत मालिकों की ही होगी, समानता
से मालिकी का ही दूसरा नाम सभ्यदुनियां है, क्योंकी मालिकी और आजादी का ही दूसरा
नाम आजाद दुनियां है और ये ही यूएन का मूंचढा नारा है, आपकी दुनियां, तो कोई सकसुबा
ही नहीं रैहैता कि यदि यूएन को लाइव टैलीकास्ट
पर ला कर जबाब दारी रिकोर्ड की जाये और कोर्ट प्रोसेस से बातचीत की जाये तो आपके
सपनों को पूरा करने वाली विश्व व्यवस्था लागू ना हो
हमारी सोच ना तो शहैरों को जलाने
की है ना इन्सानों को मिटाने की इस लिये हम हर बात सबूत दे कर करते आ रहे हैं जो
कि सही विश्व व्यवस्था का पहला चरण है
दुश्मन पागल और युद्ध जैसे षडयन्त्रों
का एक सन्घारी ही इस्तेमाल करता है समान विश्व व्यवस्थापक नही
तो अपने हक्क कानूनी समय पर हमारे साथ
लेते जाओ
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो
+(91) 9868247312, shyawhdo@gmail.com,
श्याडो एम्पायर एस-22 पुल प्रह्लाद्पुर एम बी रोड इन्द्र्प्रस्थ पिन 110044 आर्यवर्ष
प्रिथ्वी, shyawhdo.blogspot.com
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