बुधवार, 15 अगस्त 2018

matter 1281....ke liye karegaa yaa maregaa jaisii ghor....

Matter 1281....के लिये "करेगा या मरेगा" जैसी घोर ....




https://www.youtube.com/watch?v=q1kYpWU7apI
https://www.youtube.com/watch?v=d9HusI2LOKw
ट्रेनिग, प्रेक्टिकल, टेम्परेरी & ट्रायल वर्क, एजुकेसन, टूसन, कोचिग, ओडीसन, टेस्ट, इंटरव्यू, सेवा, सर्विस, गवर्न, कैम्पस, बोर्डिग, ओर्फैन्ज, निकेतन, आदि ये सभी शब्द भ्रमित करने के लिये इस्तेमाल किये जाते आ रहे हैं
सत्य गुलाम बनाना, गुलामी सिखाना, गुलामी कराना व कतल करने के लिये यथा संभव आपराधिक षडयंत्रों का इस्तेमाल करना है
इन षडयंत्रों को पूरा करने के लिये "करेगा या मरेगा" जैसी घोर आपराधिक, पीड़ादायक यातानाई घिनौनी घ्रिनात्मक, अमानवीय, आतंकित, आपराधिक, जीवन काल हत्यारी क्रिमिनल कोंस्पिरेसी का इस्तेमाल किया जाता आ रहा है
इस घोर पीढा का दर्द मैहैसूस करने के लिये उस पल को याद कीजिये जब आपके हाथ पैर मूँ बाँध कर आपको एक दम घोटने वाली पेटी में ठूस कर उसमें मॉस नोचने वाले जीव डाल कर तब तक बंद रखा जाये जब तक आप अपराध व गुलामी करना स्वीकार नही करते महिलाओं द्वारा ये ही घोर पीढा पुरुषों को अंगों की झलक दिखाकर, जैहैर खिलाकर, रूठ कर अपराध कराने गुलाम बनाने व कतल करने में इस्तेमाल की जाती आ रही है
तो सवाल ये उठता है की अगर ये गलत है तो क्या शैहैरों को जानवरों के हवाले कर दिया जाये
जबाब ये है की हाँ
क्यों की जिन्हें जानवर कहा जा रहा है उन्ही के काम, मैहैनत, लगन, विशवास, बुद्धिमानी, ज्ञान, हुनर का इस्तेमाल कर ये खुद का झूठा अस्थाई आपराधिक रूतबा व एम्पायर स्थापित करते आ रहे हैं
तो जिनकी बुद्धी, मैहैनत, विशवास, लगन व काम इनके रुतबे का आधार है वह जानवर कैसे हो सकते हैं
तो वह कौन हैं
वह कैहैलाते हैं रुतवासोर्स, रुतवाआधार, रुतवाबीज, रूतबाजनक, रूतबाव्यवस्थापक, रुतवारक्षक
और इसी रुतबे को विश्व के सभी व्यवस्थापकों द्वारा सबसे ऊंचे स्थान पर झंडे व क़ानून के नाम से स्थापित किया जाता आ रहा है जैसे अमरीका में स्टैचू ऑफ लिबर्टी व आर्यवर्ष में आर्टिकल 21
रुतबे को ही लिबर्टी, मालिकी व स्वतंत्रता के नाम से जाना जाता है
जो हर प्राणी व व्यवस्था के अधिकारों के रूप में लागू है
जिसे सबके लिये समानता से उपलब्ध कराते रेहेने के लिये बिजनिस, व्यापार, षडयंत्र, युद्ध, प्रतियोगिताओं की जगह समान लेनदेन व अनुशासन को असरदार तरीके से लागू करना ध्रुबतारे के समान एक मात्र उपाय है जो हर मौजूदा विश्व, देश, राज्य, जिलों, परिवारों व व्यक्तियों पर लागू है इसके बाबजूद संघारीराज व संघार जारी है
जिसे सिर्फ हमारी सुसंगत के प्राणी ही रोक सकते हैं
किसी संघारी गैंग के गुंडे नहीं,
इस लिये विश्व प्राणी न्याय व्यवस्थापक
जय धरती जय मानावता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याड़ो

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