आर्यवर्ष बेबस नारियों का निकेतन नही
कि जिसका मन आया, आ घुसे
जब तक मन करे, बलात्कार करे
शाहपन झाडे
और बलात्कार, गुमामी, हत्यायें करते रैहैने के लिये
अपने जल्लादों को बक्सीस में देकर कर दूर बैठ तमाशा देखे ।
ये झांसी की रानियों, काली व दुर्गाओं का गड है
दुबारा अपनी शकल मत दिखाना
वरना इनके आर्यवर्षी भक्त अपने दण्ड विधान के तैहैत
कि जिसका मन आया, आ घुसे
जब तक मन करे, बलात्कार करे
शाहपन झाडे
और बलात्कार, गुमामी, हत्यायें करते रैहैने के लिये
अपने जल्लादों को बक्सीस में देकर कर दूर बैठ तमाशा देखे ।
ये झांसी की रानियों, काली व दुर्गाओं का गड है
दुबारा अपनी शकल मत दिखाना
वरना इनके आर्यवर्षी भक्त अपने दण्ड विधान के तैहैत
ना गिरफ़्तारी करेंगे,, ना सुनवाई,, सब कुछ बिजली की रफ़्तार से करेंगे,,
दिखेगे बस कसाई
जय श्रिष्टि, जय मानवताविश्व प्राणी न्याय व्यवस्थापक
श्याडो
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें