मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

Release 1133 गीता लोकतंत्र के सिस्टम का वायरस प्रोटैक्सन सोफ्टवेअर है, जो निजी हित त्याग कर सर्वहित के लिये दंडित करने को सही ठहराता है

गीता पर पाबन्दी लगाना
ईश्वर का तिरस्कार है
आध्यात्म की हत्या है
लोकतंत्र की हत्या है
गुलाम तंत्र की विजय है
रूस को अपनी लोकतंत्र व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये गीता का आचरण करना चाहिये
यदि रूस ऐसा करता है तो वह अपना खंडित साम्राज्य पुनः प्राप्त कर सकता है
गीता देश धर्म और प्रजातियों को जोडती है
इसी लिये इसका आचरण करने वाले को योगी कहते हैं
योग यानी जोड,
यानी ताकत का बडना  
रूस को यह मानना चाहिये कि जब एक योगी इस गीता के सार को ग्रहण कर अकल्पनीय ब्रम्हांड को नियंत्रित करने की सिद्धि प्राप्त कर सकता है तो तजुर्बे कार रूस क्यों नही
भयवीत होने की वजाय गीता का सार ग्रहण कर लोकतंत्र को ताकत वर बनाना चाहिये  
रूस धरती का सबसे पहला देश है जिसने लोकतंत्र के समानता के कानून का अनुभव प्राप्त किया है
वह जानता है लोकतंत्र की बहाली में दंडित किये बिना नियंत्रण की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती
गीता वह आइना है जो लोकतंत्र के व्यवस्थापक को लोकतंत्र की हानी होने पर बल पूर्वक सूचित करता है
गीता वायरस प्रोटैक्सन सोफ्टवेअर है
यदि इसे डी एक्टीवेट कर दिया तो लोकतंत्र का सिस्टम गुमराह होकर आत्म विश्वास खो देगा
जो व्यवस्थापक को गुमराह कर गलत निर्णय करने पर मजबूर कर देगा जो हानी का कारण होगा
गीता प्रत्येक जन्म ले चुके के हित की दवा है
यदि दवा नष्ट कर दी तो परिणाम स्वरूप लोकतंत्र का बीमार होना और नष्ट होना निश्चित है
गीता एक्ट है जो लोकतंत्र के व्यवस्थापकों की हर दुविधा पल भर में दूर कर देती है
गीता एक कोर्स है जिसे करने वाला इंसान ईश्वर समान बन सर्व हित के मार्ग पर निश्चित सफलता प्राप्त करता है
गीता किसी एक धर्म या देश की नही हर जीवित के हित का शास्त्र है
इसे केवल वही अस्वीकार कर सकता है जो लोकतंत्र की बजाय गुलामतंत्र पर यकीन करता हो
रूस सिर्फ अपने नियंत्रण के क्षेत्र मे ही यह कर सकता है
पर यह सही है या गलत इसका फैसला बुद्धिजीवी धरती वासियों का बहुमत ही कर सकता है
यह रूस की सरकार के अधीन शाखा का मुद्दा नहीं है
यह अकल्पनीय ब्रम्हांड मे जन्म ले चुके प्रत्येक जीवित का मुद्दा है
जिसका असर भारत मे दिखना शुरू हो गया है
वापस कदम खीचने से अच्छा है कदम सही दिशा मे रखा जाये      
गीता को सिर्फ निजी हित की सोच रखने वाला ही त्याग सकता है
जिसका परिणाम तुरंत दिखता है  
यूं तो गीता को समझने वाले धन के लालची नही होते आप उनसे निःशुल्क सलाह ले सकते है
पर यदि स्वाभिमान बाधा पैदा करे तो आप उन्हें वरदान उधार में दे कर भी सलाह ले सकते है
या गीता को समझने वालों के निर्णयों की नकल भी कर सकते है   
लाइव टैली कास्ट पर धरती वासियों के सामने हम आपको बातचीत का निमंत्रण देते है
अंतिम फैसला विद्वान धरती वासियों का बहुमत करेगा
यदि स्वीकार है तो जबाब दें 
अन्यथा गलत बीज गलत फल को ही जन्म देता है
यह ईश्वरीय सिद्धांत है
जिसे प्राकृतिक सिद्धांत भी कहते हैं  
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो
                 
  

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