एक ताँगा को ध्यान से देखो
- ताँगे मे जुता घोडा जनता है,
जो श्रम भी करती है,
अपने श्रम पर निगरानी भी रखती है,
योजना भी बनाती है,
और अपनी गलती के लिये खुद जिम्मेदार भी होती है
- तांगे वाला सरकारी सेवक है,
जो निगरानी भी करता है,
योजना भी बनाता है,
और अपनी गलती के लिये खुद जिम्मेदार भी होता है
- ताँगे पर सवारी करने वाले राजनेता है
जो श्रम भी नही करते,
जो निगरानी भी नही करते,
जो अपनी गलती के लिये खुद जिम्मेदार भी नही होते,
जो सिर्फ राज करने के लिये, नेता बन कर ऐश करने के लिये योजना बनाते है,
लोकतंत्र कहता है कि में सभी को समानता के साथ कर्तव्य और अधिकार प्रदान करता हूं
तो क्या लोकतंत्र मे श्रद्धा रखने वाले को समानता से बारी-बारी मिल कर सभी काम करने चाहिये या नही ?
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