रविवार, 2 दिसंबर 2018

matter 1304 ....हर पीढित के आंसू पौछू ऐसा मुझे बनादे

श्याडो बोले माता से गोरी सी बहू दिला दे सालों से आंगन है खाली इसको हरा बनादे
सब कुछ तेरा में तुझको क्या दे सकता हूं माता हर पीढित के आंसू पौछू ऐसा मुझे बनादे


तब माता ने अपनी शक्ती का फ़िर से आवाह्न किया, 
बदल रूप इक विचार धारा और पुन; उच्चार किया 

बोली मेरा रूप नहीं ये जैसा तुज को दिखता है, 
सन्घारी की नापाकी से ये कोठे पे बिकता है

धरती अम्बर और सितारे में तो ऐसी दिखती हूं, 
पर सन्घारी के कोठों पे चारों प्रहरों बिकती हूं 

सन्घारी ने सन्घारों के लिये मेरा ये रूप धरा, 
प्रक्रति की हर सुन्दरता को मेरे तन मे मढा

मेरा काम तो जीवन देना रक्षा करना जान ले, 
प्रक्रति हूं ये ही सच है तू तो अब पैहैचान ले

मुक्त करा दे मुझ को इन सन्घारी कोठे बाजों से, 
इसी लिये तो साफ़ रखा है तुज को धोखे बाजों से

इसी लिये तो तुज को मैने भूखा नन्गा रक्खा है, 
क्यों कि में ये जानती हूं तू ही सच्चा पक्का है

इसी लिये ये श्रिष्टि मैने तुज को जन्म से सौपी है, 
तू ही राम रहीमा शांई तू ही दुर्गा कोपी है

अब तक है खामोश सभी आगे भी मूती खायेंगे, 
हर युग में ये सन्घारी नीति तेरी दोहरायेंगे

सौ में से सौ नम्बर तेरे तुज पर मेरी महर सदा, 
इस सारी श्रिश्टि को फ़िर से इन्द्र्प्रस्थ तू पुन; बना

पग पग पर तेरे मेरे शेरों का प्रहरा साथ चले, 
तेरे साथ ये श्रिष्टि सारी तू काहे को फ़िकर करे

चलता रहना ऐसे ही अपनी तू गज सी चाल सदा, 
मिट जायेगी हर बाधा जो दिखती तुज को बहुत बडा

मैने तो हर प्राणी को पक समानता से काम दिया, 
पर सन्घारी ने सन्घारों को ही आगे बढा दिया

अब तुज को सन्घार मिटाकर समानता फ़िर लानी है, 
तब तेरी में चूनर ओढूं तुज को चूनर लानी है

समय काल मरना जीना ये तो सन्घारी बाते हैं, 
अटल रहेंगे श्याडो जैसे सन्घारी ही जाते हैं

जय धरती जय मानवता
विश्व प्राणी न्याय व्यवस्थापक
श्याडो
 
 
   
    
 
 

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