श्याम पुत्र श्रीपक रघुवीरा, पीढा हरत धैर्य धर धीरा,,
तिनका समा दुष्ट सब ढहहीं, प्रजा कार्य झट्पट सब करहीं,,
निष्कामा करतब सब जारी, गुण गावैं सब सुखि नर नारी,,
सन्घारी गुपचरि सब देखा, खोजें कमी देखि सब लेखा,,
श्रीपक निर्भीका करि डोले, बम बम प्रजा नारि नर बोले,,
श्रिष्टि नमन करै करुणामय, नीर बहे खरबों दुखि युगिमय,,
श्रीपक आदेशा प्रभु लागू, सन्घारी चितवत कित भागू,,
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