योग्य, सक्षम, बुद्धिमान, बलवान, व्यवसायी, व्यवस्थायी, पुरुष-प्राणी वर्ग व इनके समर्थकों का सन्घारी वर्ग द्वारा सन्घार जारी है
ये सन्घार व सन्घारी ही कारण हैं हर पुरुष-प्राणी के अधिकारहीन, अनजान, ज़लालती, अपन्घ, दुर्बल, अयोग्य, दरिद्र, फ़टेहाल, फ़टीचर, गरीब, गुलाम, गन्दगीमय, जन्गली, नसेडी, अशिक्षित, अल्पजीवन, पीढामय, मन्द्बुद्धि जीवनशैली व जीवन का
श्रिष्टि प्राणी अधिकार व्यवस्था समाधान है इस सन्घारी, क्रूर, निर्दयी, कुराजक, कुव्यवस्था का
आप के अधिकारों व विकास का प्रबन्धक
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