शनिवार, 3 सितंबर 2011

Release 1092 तो धरती वासियों को यह काम करने ही होगें

  1. Release 1092 तो धरती वासियों को यह काम करने ही होगें
  2. जनता द्वारा प्रचारकों को सुरक्षा ना दे पाने के कारण  
  3. प्रचारक सही प्रचार ना कर पाने को मजबूर हो गये     
  4. जिसके कारण जनता अज्ञानी
  5. अज्ञानी से नास्तिक
  6. और नास्तिक से खुद गर्ज़ हो गई
  7. जिसके कारण बेबस लोगों की दुर्दशा होने लगी
  8. जिसके कारण बेबस लोगों को अपनी रक्षा के लिये धोखे का सहारा लेना पडा
  9. और इसी धोखे के कारण बेबसों ने गलत व्यवस्था को लागू कर दिया    
  10. इस गलत व्यवस्था के कारण जनता और बेबस लोगों के बीच युद्ध होता रहा
  11. इस धोखे की व्यवस्था के कारण असंख्य जनता को आत्म सुरक्षा, जीविका और सम्मान के लिये गलत व्यवस्था का नौकरी के नाम पर गुलाम होना पडा
  12. जिसने गुलामी स्वीकार नही की उस पर धोखे की व्यवस्था ने आरोप सिद्ध  करके प्रताडित, कैद और हत्या कर दी 
  13. यह युगों से चलता आया है और तब तक चलता रहेगा
  14. जब तक अस्तित्व में विधाता की विधि का विधान यानी जनता की व्यवस्था पुनः लागू ना हो जाये
  15. तो यदि आप अपने को निःशुल्क, अधिकार सहित इश नरक से निकालना चाहते हैं
  16. यदि समानता के साथ जीवन के हर मधुर भोग को निःशुल्क, अधिका  सहित भोगना चाहते हैं
  17. यदि निःशुल्क, अधिकार सहित समानता के साथ मौजूद व्यवस्था के तहत अपनी आज़ादी चाहते है
  18. यदि निःशुल्क, अधिकार सहित अपने और अपनों को नारकीय जीवन शैली की जगह स्वर्गीय जीवन शैली देना चाहते है
  19. तो धरती वासियों को यह काम करने ही होगें      
A. जनता की रक्षा करने वालों से जनता की सुरक्षा की भीख माँगना, उनको समानता
   के साथ सम्मान, जीविका, सामान, सुविधायें उपहार व अधिकार देना,   
B. प्रचारकों को प्रचार के लिये सम्मान, जीविका, सुरक्षा, सामान, सुविधायें व अधिकार
   देना
C. धोखे की व्यवस्था की जगह विधाता की विधि का विधान लागू करना 
D. धोखे की व्यवस्था के द्वारा आरोपित किये जा चुके सभी स्वाभिमान धारकों यानी
   आरोपियों को आज़ाद कराना
E. अपने को धरतीवासी मानना, अपने आप को ईश्वर का अंश मानना
   अपनी परम शक्ति का सत्य की स्थापना के लिये इस्तेमाल करना, ये
    ज्ञान ही हमारे पवित्र ग्रंथों मे सोsहम् के नाम से जाना जाता है सोsहम्
      की परमशक्ती का सामना ना तो इतिहास मे कोई असत्ययी कर सका है  
    ना भविष्य मे कर सकेगा, यह तो वह ज्ञानप्रकाश है जो हर जीवित के  
    मस्तिस्क मे सदैव प्रज्वलित रहता है जब युगों बाद पुनः सही की स्थापना का काल
    आता है तो लावा की तरह गलत को भस्म करके ही ठंडा होता है और फिर से सत्य
    के युग को जनम देता है जिसे पवित्र ग्रंथों मे सत्युग के नाम से जाना जाता है हर
    युग में ईश्वर के सभी अवतार और उनके द्वारा सत्य की स्थापना प्रमाण है मानने  
    वाला ही स्वर्ग भोगेगा संका करने वाला अकेलापन और दरिद्रता     
  1. जय धरती जय मानवता
  2. विश्व सेवक व रक्षक
  3. श्याडो

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