बुधवार, 7 सितंबर 2011

Release 1099 कृपया ministry of law and justice से हमे उस आधार को सरल हिन्दी मे लिखित मे दिलवाने का कष्ट करें जो मीडिया को, धरती, जीवन व लोकतंत्र की रक्षा करने वाले अभियान का प्रचार करने के लिये बाध्य कर सके

पहचान
श्याडो
Shyawhdo
Shyam’s world help dedicate organize
श्री श्याम द्वारा निर्मित विश्व मे प्रत्येक असहाय की सहायता के लिये समर्पित समूह

काम
  1. धरती के केन्द्र से आकाश में चमकते अंतिम प्रकाश बिन्दु तक प्रत्येक मानव जीव जंतु प्राकृतिक सम्पदा की सेवा सुरक्षा करना
  2. अकाल मौत के मुँह मे जा रही धरती व धरती के जीवन की रक्षा करना
  3. 100% कानून शुद्ध करना
  4. 100% कानून लागू करना
  5. जन सेवकों को जन सेवा के लिये बाध्य करना


पता  एस बाईस पुल प्रहलाद पुर नई दिल्ली 110044 भारत 
वेब पता  http://Shyawhdo.blogspot.com   
ईमेल  shyawhdo@gmail.com
मोबाइल 9868247312

सेवा में,
      भारत की संसद की मुख्य प्रबन्धक महोदया
      व अन्य वरिष्ठ अधिकारी गण महोदय / महोदया
      कार्यालय, भारत की संसद   

और ईमेल द्वारा प्रतिलिपि प्राप्त करता: यूनाइटेड नेसन, ब्रिटिस काउंसेल, वाइट हाउस, लोक सभा पति, राज्य सभा पति, लोक सभा लीडर, लोक सभा सैक्रेटरी, भारत की सुप्रीम कोर्ट, निर्वाचन आयोग, भारतीय सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय, दिल्ली की हाई कोर्ट, मुख्य मंत्री दिल्ली, सी.बी.आई., कमिस्नर दिल्ली पुलिस, श्री अण्णा हज़ारे, श्री रामदेव, श्री आसाराम बापू, श्री श्री रवि शंकर, टाइम्स ग्रुप, श्री मति किरण वेदी, अर्विन्द केजरीवाल, स्वामि अग्निवेश, प्रशांत भूषण, शांति भूषण, आइ बी एन 7, इंडिया टूडे, इंडिआ टीवी, जोइंट कमिस्नर पुलिस विजिलैंस, एग्ज़ीक्यूटिव डाईरैक्टर एम टी एन एल, सारदा गन, दिल्ली गन, स्टार न्यूज़, केन्द्रिय महालेखा अधिकारी, भारतीय कानून मंत्रालय अपने विभागों सहित,                                                     

विषय : कृपया ministry of law and justice से हमे उस आधार को सरल हिन्दी मे लिखित मे दिलवाने का कष्ट करें जो मीडिया को, धरती, जीवनलोकतंत्र की रक्षा करने वाले अभियान का प्रचार करने के लिये बाध्य कर सके







हमारी धरती स्तर पर मान्यता के सबूत
  1. धरती का सबसे विशाल और निडर देश अमेरिका के राष्ट्रपति वराक ओबामा जी का हमारे लिये सन्देश भेजना धरती पर हमारी मान्यता को दर्शाता है, उनके हम को करीब 13 मेल प्राप्त हुये है, जिसमे उन्होंने हमको अपने से बात करने और इस मुद्दे को खतम करने के लिये प्रस्ताव भेजे है, जिसमे अंतिम मेल जो कि 1.9.2011 को आया है, जिसे देखने के लिये हमारी रिलीज़ 1097 देखे और हमारी धरती स्तर की मान्यता को जाने, इसके अलावा इन 13 मेलों (सन्देशों) मे हमे हजारों करोडों के उपहार देने के भी प्रस्ताव भेजे गये है, जिन्हे हमने अस्वीकार कर दिया है    

  1. ब्रिटेन की तरफ से अब तक करीब 5 मेलों (सन्देशों) द्वारा करीब 50 लाख हजार करोड़ रुपये उपहार मे देने के लिये प्रस्ताव आये है, जो हमे हमारे अभियान को रोकने की बोली के सिवाय कुछ नही लगते,

  1. भारत मे जनता पार्टी के डा. सुब्रमण्यम स्वामी जी ने करीब 420 एम पी और 4042 एम एल ए को हमसे खरीदने का प्रस्ताव भी भेजा है, जिसका जबाब भी हमने ना करके दिया है

  1. हमारी धरती स्तर की मान्यता के विषय मे जानने के लिये धरती की सबसे बडी मीडिया एम एस एन, गूगल, फेस बुक, विकिपीडिया, ट्वीटर, और ब्लोग स्पोट हमारे विषय मे क्या प्रचार कर रहे हैं यह जानने के लिये shyawhdoinformation, shyawhdo, pohinin, ssnin शब्दों द्वारा खोज करें और धरती स्तर पर हमारे समर्थकओं, विरोधियों और हमारी सरल और निष्कलंक जीवनशैली को देखें समझें और हमारी मान्यता को जाँचे, फिर धरती, जीवन और लोकतंत्र को ध्यान मे रख कर स्वतंत्रता पूर्वक फैसला लें                   

हमारे जीवन काल की अहमियत
हमारी उम्र के हिसाब से यदि हम 100 वर्ष तक जिये तो आराम और दिनचर्या का समय निकालने के बाद हमारे जीवन के करीब 25 साल ही बचते है
इन 25 सालों मे हमे नीचे लिखे काम पूरे करने है
 
  1. अकाल मौत के मुँह मे धकेली जा रही धरती व धरती के जीवन को मौत के मुँह मे जाने से रोकना
  2. धरती पर विश्व स्तरीय समान निश्चिंत आध्यात्मिक स्वर्गीय व्यवस्था लागू करना
तो आप समझ चुके होंगे कि यदि अस्तित्व मे सबसे कीमती किसी का समय है
तो वह हमारा है
सबसे ऊँचा पद किसी का है
तो वो भी हमारा है
इस लिये हमे उम्मीद है कि आप हमारे जीवन काल का पूरा खयाल रखेंगे
जो सही मायने मे धरती के जीवन काल और मानव के अस्तित्व के जीवन काल का खयाल होगा    










शब्द और शब्दों के सरल भावार्थ 

आधार = कानून, नोटिफिकेसन, सर्कुलर, ओर्डिनेंन्स, गाइड लाइन, नियम, शर्त, आदेश, प्रथा, अहम व्यक्ति की सोच व यदि कोई अन्य प्रक्रिया व प्रावधान हो, तो उसका नाम, कोड, लागू करने की तारीख, उससे सम्बन्धित प्रावधान, प्रक्रिया व किये जा चुके निर्णय (एस सी सी)
जिसे माननीय न्यायालय अस्वीकार ना कर सके        

सरल हिंदी = आम इंसान की समझ मे आने वाली हिन्दी बोली   

लिखित = जिसे माननीय न्यायालय, संसद व यूनाइटेड नेसन स्वीकार करता हो  

मीडिया = जो समूह धरती पर प्रचार करने के लिये सरकारों के कानूनों के तहत पंजीकृत हों,
         व सरकारों से जनता की सम्पत्ति (ज़मीन, भवन, धन, निवास, मशीन, सुविधायें व
         अन्य सहायतायें) प्राप्त कर चुके हों     
धरती = जिस जगह जीवन हो 

जीवन = ईश्वर के तत्वों के निश्चित समय व अनुपात मे क्रिया शील हो कर जन्मा शरीर जो ईश्वर के तत्वों के सही अनुपात के बिगडने पर व समाप्त होने पर पुनः मर जाता है, इस बीच के समय मे ईश्वर इस शरीर मे प्राण और डाल देते है, प्राण के शरीर के साथ मिलते ही चेतना का जन्म होने लगता है, शरीर प्राण और चेतना सम्पूर्ण जीव को जन्म देता है, जीव के जन्म से मौत के बीच के समय को जीवन कहते है     

लोकतंत्र, मानव और कानून = अकल्पनीय प्रजातियों मे एक प्रजाति ने घोर तपस्या कर ईश्वर को प्रसन्न कर अकल्पनीय प्रजाति की समानता, निष्पक्षता, निडरता, श्रद्धा से सेवा सुरक्षा करने के लिये ताकत बुद्धि का वरदान माँगा ईश्वर को यह काम किसी ना किसी को माध्यम बना कर खुद करना ही था, ईश्वर ने यह काम जिस प्रजाति को माध्यम बना कर दिया वह प्रजाति मानव कहलाई, मानव का मतलब था मान+व मान का मतलन सम्मान व का मतलब वह यानी अन्य, अंजान, यानी जो अंजान को मान देगा ध्यान रखेगा वह मानव कहलाया, मानव ने राजा बन कर सभी प्रजातियों को मान सम्मान सेवा सुरक्षा दी, राजा जिन नियमों के तहत सभी प्रजातियों को सम्मान व समानता के साथ सेवा सुरक्षा और कर्तव्य देता था, उन नियमों के संग्रह को राजतंत्र कहते थे, पर अपने करम को पूरा ना कर पाने के कारण ऐस की बीमारी ने अस्तित्व को अपनी चपेट मे ले लिया, फिर राजा की जगह लोक यानी समूहों ने समानता, निष्पक्षता, निडरता, श्रद्धा, के साथ अस्तित्व मे जन्मी सभी प्रजातियों की सेवा सुरक्षा का भार अपने ऊपर ले लिया, लोक तंत्र की खासियत ये थी कि एक दरिद्र भी बडे जन सेवक पर आरोप लगा कर जन सेवक को जबाब देने के लिये बाध्य कर सकता था, जन सेवक का हिसाब जांच सकता था. अपराधी जन सेवक को दंडित करवा सकता था, इन्ही नियमों उदाहरणों का तिथि सहित संग्रह लोक तंत्र का कानून कहलाया                   

रक्षा = ईश्वरीय वरदान, राज तंत्र व लोक तंत्र के कानून के तहत न्याय, सेवा, सुरक्षा देने का
      मतलब रक्षा करना था

मानवीयता = अन्य, परायों, अपराधियों को मान देने के संसकार, दूसरे के लिये काम करना
           जान देना, बिना अपने स्वार्थ के, जो कानून से उंचा स्थान रखते है, जो
           अपराधी को माफ करने की महानता भी रखते है, ऐसे ही महानता के कामों के
           उदाहरण, कामों के आधारों का संग्रह, मानवीयता कहलाती है        




महोदय,
        कृपया ministry of law and justice से हमे उस आधार को सरल हिन्दी मे लिखित मे दिलवाने का कष्ट करें जो मीडिया को, धरती, जीवनलोकतंत्र की रक्षा करने वाले अभियान का प्रचार करने के लिये बाध्य कर सके

पहला चरण  
यदि भारतीय लोकतंत्र के व्यवस्था करता हमे यह ना देने का फैसला कर चुके है   
तो जबाब ना देने का आधार, सरल, लिखित, मे देने का कष्ट करें

दूसरा चरण  
यदि आप ने पहले चरण का भी जबाब ना देने का फैसला कर लिया है
तो सभी मांगों को आर टी आई कानून 2005 के तहत आपातकालीन मैटर के तहत
प्राप्ति, आपकी धन की माँग़, व हमारी माँगों के जबाब हमे 3 दिनों मे भेजने का कष्ट करें

तीसरा चरण
यदि आप दूसरे चरण का भी जबाब ना देने या किसी और के पास भेजने या बेअसर जबाब देने या कठिन शब्दों का जबाब या ना समझ मे आने वाला जबाब देने का फैसला ले चुके हैं
तो सिद्ध हो जाता है
कि आप ने अपने कर्तव्यों का पालन ना करके
मानवता द्रोह, भू द्रोह, व देश द्रोह किया है
जिसके लिये आपको माननीय धरती वासियों के सामने शपथ सहित अपनी बेगुनाही का जबाब देना होगा

चौथा चरण
यदि आप ये सोच रहे है कि सभी बलीय अधिकारी और जज तो हमारे आदमी है गलत कानून (खामोशी, विलम्ब, बेअसर जबाब, घुमाना, गुम करना) का सहारा ले कर आप ऐसे ही ऐस करते रहेंगे कोई आपका कुछ नही बिगाड सकता, तो आप का अनुभव सही कह रहा है, पर हम आप लोगों की कर्तव्य हीनता के कारण धरती, जीवन व लोकतंत्र की हो रही हत्या को नही होने देंगे,
हम यह मामला यूनाइटेड नेसन मे उठायेंगे,     

पांचवा चरण
यदि अभी भी आप हमारी सही माँग को पूरा करने में असफल रहते हैं तो आपको यह सूचित किया जाता है कि धरती वासियों की सभा मे यह मामला जांच के लिये विलम्बित है और जांच के दौरान धरती स्तर पर लोकतंत्र के व्यवस्थापकों की कर्तव्य हीनता के सबूत धरती वासियों को मिल चुके है, जो अपनी कार्यवाही जारी रखेंगे, यदि आप को लग रहा है कि इससे भी आपको कोई फर्क नही पडता तो आप सही सोच रहे हैं, पर हम जन सेवकों को यह कहने का मौका नही देना चाहते कि धरती वासियों ने समान, क्रमिक, विधिक, व्यवहारिक, न्यायिक, मानवीय, कार्यवाही नही की,












छठा चरण
धरती वासियों ने, धरती, जीवन व लोकतंत्र की रक्षा के कर्तव्य को पूरा कराने के बदले जन सेवकों के समूह को धन, सम्पत्ति, सम्मान, उपहार, व अधिकार, वोट समझौते के तहत दिये,
पर जन सेवकों मे ऐश करने की आदत पड गई, जिसके कारण धरती, जीवन व लोकतंत्र करीब 95% घायल हो कर अकाल मौत के दरवाजे तक पहुंच गये, तब ईश्वर ने पुनः धरती वासियों को माध्यम बना कर रक्षा करने का फैसला ले लिया, और घोषणा कर दी, कि जन सेवक वोट का समझौता कायम रखने मे असफल रहे है, इस लिये समझौता फेल हो चुका है, क्यों कि समझौता फेल हो चुका है, इस लिये धरती वासी अब वोट समझौते के तहत जन सेवकों को धन, सम्पत्ति, सम्मान, उपहार, देने के लिये मजबूर नही हैं, व जन सेवकों को दिये गये सभी अधिकार वापस लिये जाते हैं व अब जन सेवकों के आदेश मानने को विवश नही है, व सभी धरती वासी आत्म सुरक्षा के लिये हर कार्यवाही करने के लिये स्वतंत्र है, व जन सेवकों को समझौते के तोडने के बदले कार्यवाही व दंडित करने व मानवीयता के तहत माफ करने का अधिकार रखते हैं
यदि आपने अभी भी हमारी माँगों को अस्वीकार किया तो
धरती वासियों के पास उपर कहे गये के  अनुसार करने के सिवाय कोई रास्ता नही बचता 
     
सातवां चरण
यदि अभी भी आप धरती वासियों की मांग को नही देना चाहते तो
धरती वासी विशाल सैलाब के रूप मे एकत्रित होकर
पहले भारत मे फिर धरती पर
धरती वासियों का विधाता की विधि का विधान लागू कर देंगे
केवल धरती वासी उन्ही जन सेवकों को अपना सकेंगे   
जो परमात्मा के संकेतों के आधार के आदेश पर प्रकट हुये
विधाता के विधि के विधान को श्रद्धा सहित स्वीकार करेगा
बाकी जन सेवकों से प्रार्थना है
कि वह अपनी शंका दूर करने के लिये
लाइव टैलीकास्ट पर अपने सवाल, जबाब, विचार, व लिखित मे बात चीत करें
और धरती वासियों का बहुमत प्राप्त करें
यदि धरती वासियों का बहुमत प्राप्त ना कर सके तो विधाता की विधि के विधान को स्वीकार करें या युद्ध मे धरती वासियों को हरा दें

आज हर बुद्धिजीवी पीडित धरती वासी सिर्फ हमारे इशारे का इंतजार कर रहा है
पर हमे अपने मानवीय सिद्धांत और अपनी जिम्मेदारियों का एहसास है
 
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो



   
    
          


         
           

          
  

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