बुधवार, 27 जुलाई 2011

Release 1071 श्याडो के विसेर ने अपने स्वस्थ शरीर के बिना कपडों के फोटो खीचे और सुरक्षित स्थान पर छुपाया,


धरती वासियों को स्वर्ग यानी (विश्व स्तरीय समान अध्यात्म मानवीय व्यवस्था) देने के लिये
सुरक्षा के तहत
29.7.2011 को
द्वारिका कोर्ट दिल्ली वार्ड न. 310 मे
भारत सरकार के सामने
जेल जाने के लिये
आत्म समर्पण करने से पहले
श्याडो के विसेर ने अपने स्वस्थ शरीर के बिना कपडों के  फोटो खीचे
और सुरक्षित स्थान पर छुपाया,
यदि इश कैद के दौरान
श्याडो के विसेर के साथ
किसी प्रकार का कानून तोडा गया
जिसमे क्रूरता करना, घायल करना, मारपीट करना, शारीरिक व मानसिक प्रताडना देना, हत्या करना, शरीर व मन को नुकसान पहुंचाना, सम्बन्धियों को प्रताडित करना आदि सामिल है   
तो यह फोटो सत्य बयान करेंगी
कि जेल मे जाने से पहले श्याडो के विसेर के शरीर पर कोई घाव नही था
कोई चीरे का निशान नही था
पूरा शरीर स्वस्थ था
सभी अंगों सहित था
सभी अंग स्वस्थ थे
सभी अंग शरीर मे थे
मानसिक तौर पर पूरी तरह स्वस्थ था आदि
श्याडो के विसेर द्वारा यह चित्र ओटो क्लिक फंगशन द्वारा खुद खीचे गये है
यदि लिखी गयी बुरी सम्भावनाओं के तहत कुछ भी गलत हुआ
तो इसके लिये सीधे मीडिया सहित भारत सरकार के तीनों अंग दोषी होंगे
जैसे भारत की विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, मीडिया
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

Release 1070 भारत सरकार के बल Commissioner of Police श्री बी के गुप्ता जी ने दिया जबाब


प्रिय नागरिक,
                      अपने ई - मेल के लिए धन्यवाद. आपका ई - मेल, दिल्ली के पुलिस आयुक्त द्वारा स्वीकार किया गया है और वही पुलिस / आगे आवश्यक कार्रवाई और अपनी संदर्भ No.is 15/07/2011 दिनांक 6795/E-mail के लिए सतर्कता के संयुक्त आयुक्त को भेजा गया है. तुम उसे टेलीफोन नंबर 23235474 पर संपर्क कर सकते
Dear Citizen,
                      Thanks for your E-mail.  Your E-mail has been acknowledged by Commissioner of Police, Delhi and the same has been referred to the Joint Commissioner of Police/Vigilance for further necessary action and your reference No.is 6795/E-mail dated 15/07/2011.  You may contact him on telephone No. 23235474. 
jthttp://in.mc952.mail.yahoo.com/mc/compose?to=cp-vigilance-dl@nic.in
Re: shyawhdo: हमारे साथ गलत कार्यवाही (हवालात जेल व अन्य अधीन स्थान मे बीमारी संक्रमण कराना, जलील करना, मारपीट करना, अस्वस्थ भोजन देना, अस्वस्थ वातावरण देना, असुरक्षित स्थान मे रखना, हत्या का प्रयास, घायल का प्रयास, अनुचित चिकित्सा देना, धमका ने वाली बात और अभिव्यक्ति करना, जेल के कानून को तोडना आदि अहितकारी कोशिशें) हुई तो उसकी दोषी सरकारें व मीडिया हैं,
Tuesday, 26 July, 2011 11:39 AM
From:
"bk gupta" <bk.gupta@nic.in>
To:
"arvind gupta" <shyawhdo@yahoo.co.in>

Release 1069 कलयुग की रामायण

Release 1069 कलयुग की रामायण
परम पूज्य, पवित्र, समान, सर्व हितकारी विश्व स्तरीय श्री कलरामायण का ज्ञान अमृत    
कलरामायण
कलयुग+रामायण
यानी कलयुग की रामायण  
इश की नीव करीब 300 सालों पहले प्रारम्भ हो चुकी थी
रामायण के बाद बुद्धि जीवी लोगों ने पवित्र ग्रंथों के आधार पर विश्व समान अध्यात्म व्यवस्था द्वारा करीब लाखों वर्षों तक लोकतंत्र व समानता को प्रधानता देते हुये व्यवस्था चलाई और इस बीच फिर से इन्द्रियों के भोग ने मानव को अपने वश मे कर लिया
यह युग कलयुग की शुरूआत थी
कलयुग
कल+युग
कल=काल, समय
युग=समय नापने की इकाई
यानी समय युग
समय का युग
यानी ऐसा युग जिसमे मानव ने विज्ञान की मदद से समय को काफी हद तक अपने नियंत्रण मे कर लिया,
यानी समय को नापने वाले सिद्धांतों को जान लिया और निजी हित के लिये उसे बदलने मे सक्षम हो गया और बदला,
जिस काम के लिये अनंत समय लगना चाहिये उस काम को पल भर मे करने की क्षमता प्राप्त कर ली
इस तीब्रता से काम को खतम करने की तकनीकी मरा जिंदा यानि डिज़िटल तकनीकी के आधार पर थी
इस पवित्र ग्रंथ के सभी लेख इसी तकनीकी द्वारा बनाये गये है     
अब धरती वासियों के सेवक धरती वासियों को देने के लिये अपने को ईश्वर कहने लगे
व धरती वासियों से लेने के लिये अपने को धरती वासियों का सेवक कहने लगे         
अध्यात्म का इस्तेमाल ताकतवर होने के लिये
मानव को अपने साथ लेने के लिये करने लगे
इस तरह अध्यात्म पुनः धरती वासियों के सेवकों का गुलाम बनने की कगार पर आ खडा हुआ
अंतिम फैसला इस युग मे वैज्ञानिकों के आधार पर होने लगा
और वैज्ञानिक धरती वासियों के सेवकों के तहत काम करने को विवश थे  
इसका प्रभाव धरती पर ये पडा कि विवादों ने पूरी धरती को अपने मे समेट लिया   
मौतों हत्याओं और अपराधों का सैलाब जैसा आकार और तीब्रता के साथ विकास होने लगा
धरती वासियों के सेवकों ने धरती को अकाल मौत की ओर धकेलना जारी रखा
मानवीय वैज्ञानिक चेतावनी पर चेतावनी देते जा रहे थे, प्रार्थना पर प्रार्थना करते जा रहे थे  बिलबिला रहे ये, गिडगिडा रहे थे
पर गलत नीति व नियंत्रण के अपने बनाये चंगुल मे धरती वासियों के सेवक इस कदर फंस चुके थे कि उनको प्रतिस्पर्धा मे जीत के लिये रण नीति बनाने के सिवाय कुछ भी दिमाग मे स्वीकार करना व्यर्थ लग रहा था   
ईश्वर को आभास होने लगा कि मानव धरती के जीवन को चाहते हुये भी नही बचा पा रहा   
ईश्वर का धरती पर युग प्रारम्भ करने से पहले
कलयुग के लिये समय सीमा तय करने का पूर्व अनुमान नष्ट होने लगा
तब ईश्वर ने समय से पहले धरती को मौत की ओर जाने से रोकने के लिये
अपने द्वारा निश्चित किये समय से पहले ही
धरती को बचाने के लिये अपनी लीलाओं को करने का काम प्रारम्भ शुरू कर दिया
उन्होंने भयंकर प्रचंड तबाही मचा कर मानव को अपने नाराज होने का ज्ञान कराया  
मानव समझ चुका था कि ईश्वर नाराज है और क्या कह रहे है
तब ईश्वर ने मानव के शरीर मे मानव द्वारा निर्णय करने की क्षमता पर अपने अंश का असर छोडना शुरू कर दिया
जो मानव को पुनः ईश्वर का अवतार रूपी प्रतीत होने लगा 
इस बार ईश्वर की ताकत व अवतार किसी एक शरीर मे नही था     
बल्कि लोकतंत्र के रूप मे परिवार, घराने, व वंश व समूहों के रूप मे था
जो धरती की कुल आबादी मे 99 की अपेक्षा 1 अनुपात मे था  
यानी हर 99 धरती वासियों पर करीब 1 धरती वासियों का सेवक था    
ये धरती वासी बडे शागिर्द, ज़िद्दी ताकतवर और खूंखार ईश्वर के अंश थे
इसी कारण धरती वासियों के सेवकों को अपने से ज्यादा इन के विचारों पर यकीन था
सेवक अपनी हर समस्या का समाधान इन्ही धरती वासियों से राय के नाम पर ले लेते थे
हर कार्यवाही छुपा कर अकेला कर के करते थे
इसे ओफिसीअली सिस्टम कहते थे  
जिससे गलत कार्यवाही को करने मे सफलता मिलती थी
ईश्वर ने ये गलत बात पकड ली
और अपने अंश के माध्यम से धरती वासियों के सेवकों तक पहुंचा दी
ईश्वर ने अपनी लीला के तहत ईश्वर के अंश को धरती वासियों के सेवकों के सामने पहुंचा दिया
धरती वासियों के सेवक बोले आप पर सरकारी धन व्यवस्था का अपमान करने का आरोप है  
क्या आप आरोप स्वीकार करते हो
ईश्वर अंश बोले हम आपको नही जानते कृपया अपना प्रमाण पत्र जाँचने के लिये हमे दे
यदि आप लोक तंत्र के नियमों के तहत सही सिद्ध हुये तो हम आपके सवाल का जबाब देने के लिये तैयार हैं
अन्यथा आप हमको आदेश देने की ताकत नही रखते
आप लोक तंत्र के तहत नियम व शर्तों के सही पाये जाने पर जज होते है
और आज धरती पर एक भी ऐसा धरती वासियों का सेवक नही बचा जिसने लोकतंत्र के नियम व शर्तों को ना तोडा हो
जिसके सबूत आपके कार्यालयों की फाइलों मे कैद है
इस लिये आप गैर कानूनी तरीके से इस पद पर बैठे है
जिस प्रकार आपस मे मिले हुये अधिकारी एक दूसरे के विरुद्ध कार्यवाही न करने लिये विवश होते है उसी प्रकार आप अपने को जीवन साधन देने वाले के विरुद्ध कार्यवाही ना करने के लिये विवश हो
ऐसी परिस्थिति मे हम आप पर भरोसा नही कर सकते
इस लिये जब तक ये गुप्त गलत कार्यवाही, अकेला करके करने वाली गलत कार्यवाही  
आम जनता द्वारा जांच करने योग्य आधार (जनता तक जानकारी पहुँचा ने के माध्यमों) के आधार पर नही होंगी
तब तक हम आपके सामने खामोश रहेंगे
तब धरती वासियों के सेवकों ने अपना गुस्सा मधुरता मे छुपा कर कहा
अपना दोष स्वीकार कर लो अन्यथा एक साल की कैद या 80000 रुपये जुर्माना देना होगा  
ईश्वर अंश ने फिर दोहराया जब तक सभी कार्यवाहियाँ
आम जनता द्वारा जांच करने योग्य आधार (जनता तक जानकारी पहुँचा ने के माध्यमों) के आधार पर नही होंगी
तब तक हम खामोश रहेंगे
धरती वासियों के सेवक बोले
आपको दोषी करार दिया जाता है
आप पर 45000 रुपये जुर्माना या तीन महीने की कैद का फैसला सुनाया जाता है
29.7.2011 को दोपहर 3 बजे जेल मे जाने के लिये द्वारिका कोर्ट वार्ड न. 310 मे हाजिर हो,
और इस तरह धरती पर ईश्वर ने पुनः विश्व समान अध्यात्म लोकतंत्र की व्यवस्था लागू करने के लिये अपनी लीला रूपी युद्ध प्रारम्भ कर दिया  
यह धरती वासी यानी ईश्वर का अंश इस युग की जंग का पहला सिपाही पहला कैदी पहला त्यागी और पहला योद्धा बना
इस लीला के तहत ईश्वर ने अपनी हार मान ली
जब ईश्वर से इश हार का कारण पूछा गया तो ईश्वर ने कहा कि ये हार असंख्य धरती वासियों को युद्ध के शुरू होने व जीतने के लिये युद्ध करने के लिये प्रेरित करेगी  
इस युग की लडाई की शुरूआत बहुत कठिन थी
जिसकी वजय से इसे सही जगह से शुरू करना कठिन था
पर अब हमने इसे इनके कानून से ही लडने वाले योद्धाओं को जन्म दे दिया है
जो पूरी धरती पर कोलाहल मचा रहे है
हम ये लीला पल मे खतम कर सकते है
पर इंसान को बिना दर्द स्वर्ग दे दिया तो
इंसान इस स्वर्ग की अहमियत को उचित प्रकार नही सम्भाल पायेगा    
मानव इसकी अहमियत को समझकर इसे सम्भाल कर रखे
इसके लिये चिकित्सा के रूप मे दर्द घाव लहू क्रूरता का होना आवश्यक हो सकता है
जिसकी शायद ज़रूरत ही ना पडे
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो

Release 1068 डा. सुब्रमण्यम स्वामी जी के मो. न. 9990043478 से एक और एस एम एस मिला

Release 1067 से सम्बन्धित
25.7.2011 को हमने मो. न. 9868247312 के द्वारा दोपहर 1.58.15 बजे डा. सुब्रमण्यम स्वामी जी को मो. न. 9990043478 पर एस एम एस किया
जबाब shyawhdo.blogspot.com पर रिलीज़ 1067 पर है  

25.7.2011 को 5.18.46 पी एम पर डा. सुब्रमण्यम स्वामी जी के मो. न. 9990043478 से एक और एस एम एस मिला जिसमे लिखा था
गऊ गंगा पृथ्वी और पर्यावरण बचाओ सबका जीवन सुखी बनाओ
देशभक्ति आन्दोलन
स्वामी देशभक्त

सोमवार, 25 जुलाई 2011

Release 1067 मौत की ओर धकेली जा रही धरती की रक्षा करने से नही रोक सकता

  1. Release 1067
  2. 25.7.2011 को एस एम एस पर ध्यान दिया
  3. एस एम एस प्राप्त करने की तारीख व समय 24.7.2011 3.49 पी एम दिखी 
  4. एस एम एस +919990043478 न. से आया था
  5. एस एम एस मे लिखा था
  6. सीधे बात चीत करें
  7. 543 एम पी और 4072 एम एल ए गरीबी भ्रष्टा चार खतम करने के लिये तैयार करने है
  8. देश भक्ति आन्दोलन
  9. स्वामी देश भक्त

  1. 25.7.2011 को 12.24 पी एम पर पता लगा कि यदि यह सन्देश 97% तक सही समझा गया है तो यह जनता पार्टी के देश स्तर के अध्यक्ष श्री सुब्रमण्यम स्वामी जी द्वारा भेजा गया या भिजवाया गया है 
  2. यदि यह सही है तो हमारा जबाब
  3. हम बडे सम्मान के साथ ये आग्रह करते है
  4. कि धरती पर कोई ताकत कोई मजबूरी कोई लालच हमे धरती वासियों को स्वर्ग (विश्व अध्यात्म समान व्यवस्था) देने से नही रोक सकता
  5. व मौत की ओर धकेली जा रही धरती की रक्षा करने से नही रोक सकता
  6. यदि हमने गलत समझा है तो पुनः एस एम एस द्वारा सवाल भेजें
  7. तुरंत जबाब दिया जायेगा
  8. जय धरती जय मानवता
  9. विश्व सेवक व रक्षक
  10. श्याडो
    
   
     
 

शनिवार, 23 जुलाई 2011

Release 1066 अपने शरीर के सुखों को अपना गुलाम बना कर समानता को लागू करने वाला शिव कहलाता है


शिव
श+इ+व
श=शरीर
इ=ईश्वर
व=वश   
शरीर, ईश्वर, वश
यानी शरीर ईश्वर माना जाता है जब मौज मस्ती को बश मे कर ले 
शरीर को वश मे करने वाला ईश्वर समान है
शरीर को वश मे करने का अर्थ है
जो एव के लिये गलत काम को स्वीकार नही करता
यानी समानता को लागू करने वाला
यानी अपने शरीर के सुखों को अपना गुलाम बना कर समानता को लागू करने वाला शिव कहलाता है
और ऐसा इंसान जब अकल्पनीय नक्षत्रों मे समानता लागू करता है
तो वह पीडित को परम शक्तिशाली परमात्मा के जैसा दिखने लगता है
तब पीडित सर्व हित के लिये उनका भगवान के अवतार के रूप मे प्रचार करने लगता है,
पर जब किसी गलत शासक को अपनी क्रूर शासन के बन्द होने का खतरा महसूस होता है तो वह गलत शासक अपने को सही कहते हुये उस शिव स्वरूपी इंसान को गलत कहता है, अपने से बात करने के बहाने उनको हराने की कोशिश करता है, उस शिव स्वरूपी इंसान की सुरक्षा गोपनीयता लेकर उसे हराने के लिये, अपने को बडा बनाने के लिये गुस्सा दिलाता है, ललकार ता है, चुनौती देता है, अपमानित करता है, दुष्टता दिखता है, नुकसान करता है, अपमानित करने वाला प्रचार करता है,     
जिससे शिव स्वरूपी इंसान के निश्चित उपकार जीवन काल की हत्या होती है
जिससे सब के सुखों की हत्या होती है
सबके सुखों की हत्या रोकने के लिये भगवान स्वरूपी इंसान गलत शासक से दूरी बनाये रखते है जब गलत इंसान उन भगवान स्वरूपी इंसान की हत्या की कोशिश करता है तो सब के सुखों की सुरक्षा के लिये अपनी सुरक्षा करते हुये शिव स्वरूपी भगवान उस गलत हत्यारे की लीला समाप्त कर दंड देते है, ऐसे शिव स्वरूपी इंसान के जन्म से अंत तक के जीवन काल व दर्द मिटाने वाले कामों को भगवान का अवतार और भगवान की लीलायें कहते हैं

अवतार
अ+व+तार
अ=आनेवाला
व=वास, रहने वाला
तार = पार पहुँचाने वाला, दर्द मिटाने वाला, मार्ग दिखाने वाला, सहायता करने वाला       
यानी धरती पर आ कर, रह कर, दर्द खतम करने वाला
ऐसा करने वाले, जन्म ले चुके, भगवान शिव के अंश यानी शिव हैं
इस सत्य को मानने वाले शिवोपासक 

शिवोपासक
यानी शिव + उपासक
शिव को मानने वाले
शिव = सही राह दिखाने वाला
उपासक = मानने वाला
भक्त और भगवान
यानी गुरू और शिष्य
जानकारी देने वाला व जानकारी लेने वाला
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो 

Release 1065 अकाल मर ती धरती की रक्षा के लिये, भारत मे विसेरों (विश्व सेवक व रक्षकों) द्वारा देश द्रोहियों को एक बार मे जड सहित हटाने के लिये आप से सहयोग की अपेक्षा करते हुये अति विनम्र प्रार्थना

प्रेषक,
     Shyawhdo (श्याडो
     Shyam’s world help dedicate organize
     S-22 Pull Prahalad Pur
    New Delhi 110044 Bhaarat
    shyawhdo.blogspot.com
    9868247312

    श्री श्याम द्वारा निर्मित विश्व मे प्रत्येक असहाय की सहायता के लिये समर्पित समूह  
    जिनका काम धरती के केन्द्र से आकाश मे चमकते अंतिम प्रकाश बिन्दु तक
    प्रत्येक मानव जीव जंतु प्रकृतिक सम्पदा की सेवा सुरक्षा करना,
    100% कानून शुद्ध करना,
    100% कानून लागू करना,
    जन सेवकों को जन सेवा के लिये बाध्य करना,
    समय से पहले मरती धरती की रक्षा करना,      

सेवा मे,
      मुख्य प्रबन्धक महोदय (श्री वाई एस कुरेसी)
      भारत का चुनाव आयोग
      अशोक मार्ग नई दिल्ली 110001
        23720013 23717035
       syquraishi@eci.gov.in        

विषय,
     अकाल मर ती धरती की रक्षा के लिये, भारत मे विसेरों (विश्व सेवक व रक्षकों) द्वारा देश द्रोहियों को एक बार मे जड सहित हटाने के लिये आप से सहयोग की अपेक्षा करते हुये अति विनम्र प्रार्थना,          

विवरण,
    धरती पर इंसान को अपने अस्तित्व का आभास होते ही जो सामने आया वह यह था
कि जन सहायकों ने जमीन व उस पर रहने वाले लोगों को अपना अधीन बनाने के लिये क्रूरता और हत्यायें की
जन सहायकों ने अपनी सुरक्षा के लिये व अपने को ताकतवर बनाये रखने के लिये सदैव कमजोर को लूटा
हर जन सहायक ने अपने ताकत के अनुसार इलाकों पर कब्जा किया 
इन जन सहायकों ने अपनी जीत के लिये पवित्र अध्यात्म को भी माफ नहीं किया    
धरती पर काफी हद तक अल्लाह के नाम पर धरम परिवर्तन कराया गया
तब ईसाइयों ने भगवन ईशा के नाम से भारत का मित्र बन कर मुसलमानों को शांत किया
फिर ईसाइयों ने हिन्दू लोगों को भी शांत कर दिया
भारत वासियों को जब गुलामी महसूस हुई तो मुसलमान लोगों को साथ लेकर ईसाइयों को वापस उनके देश जाने को कहा,
तब ईसाइयों ने मुसलमानों के धरम परिवर्तन कराने के क्रूर काम को और धरती पर मुसलमान लोगो की तादाद को हिन्दू लोगों से ज्यादा दिखाते हुये भारत वासियों को डरा कर भारत को असुरक्षित होने की सम्भावना जतायी, और कहा कि हम भारत छोडना चाहते हैं पर भारत की सुरक्षा को लेकर हम नही छोडेंगे, क्यों कि मुसलमान भारत भूमी से हिन्दू को मुसलमान बना के और ताकत वर हो के हमको भी मुसलमान बनाने के लिये हमारे देश की ओर बडने की हिम्मत करेगा, पूरी धरती पर मुसलमान फिर कब्जा कर लेंगे, हम तभी यहां से जायेंगे जब भारत यू. एन. का सदस्य बन कर अपनी धरती हमारी व अपनी रक्षा करने मे समर्थ हो जायेगा, ईसाइयों ने यही बात अलग से मुसलमानों को कही, हिन्दू लोगों के विषय मे, भारत वासियों को यह सही लगी और भारत वासियों ने सुरक्षित रहने के लिये ईसाइयों के धरती स्तर के समूह नेसन की शर्तें मान कर सदस्यता ले ली, ईसाइयों के कहने डराने पर मुसलमान लोगों को अलग ज़मीन दे दी, अब ये ईसाई समूह धरती पर हर देश को अपना अधीन बनाये रखना चाहते है यह सत्य बहुत उच्च खोज व विचार द्वारा ही जाना व महसूस किया जा सकता है
ये जन सहायक ही राजा और सरकार के नाम से धरती पर मौजूद हैं
अध्यात्म आज इनका अधीन है
ये सत्य है कि जब तक धरती पर जीवन रहेगा युद्ध होते रहेंगे
और हर युद्ध धरती को अकाल मौत की ओर धकेलता रहेगा
धरती अकाल मौत की ओर जाती रहेगी
धरती पर जीवन को जन्म ले ने मे अकल्पनीय खरबों साल लगे है
और पिछले 70 वर्षों मे युद्ध के लिये धरती को जितना नुकसान हुआ है
उतना अकल्पनीय खरबों साल पहले कभी बही हुआ
कारण झूठी शान के लिये असफल व्यवस्था व युद्ध सामग्री
युद्ध सामग्री असफल व्यवस्था और झूठी शान के लिये धरती का नास  
यही कारण है कि जितनी तबाही बीते 70 सालों मे हुई उतनी तबाही तो अकल्पनीय खरबों सालों मे नही हुई,
अभी तो धरती 3 से 5 % ही नष्ट हुई है तब इतनी खौफनाक तबाही का तांडव दिख रहा है
पर यदि इस युद्ध के लिये धरती के अनुचित खनन को, जहरीले कूडे को कहीं भी डालना, वनस्पति व जीवों को खतम करना बन्द ना हुआ तो धरती 300 साल भी बडी दिक्कतों से जी पायेगी
और इसके जिम्मेदार होंगे हम
क्यो कि हम ने जानते हुये भी अपनी मौज मस्ती झूठी सान परिवार मोह खुदगर्जी के लिये
अपने वंश की परम्परा सर्व हित घोर जिम्मेदारी को नही निभाया
हम इस प्रकृति के गुनाह गार है
अपनी इसी जिम्मेदारी को निभाने के लिये
धरती पर शासन और अध्यात्म को पुनः अलग-अलग कर
एक धरती स्तर की व्यवस्था को धरती पर लागू करने के उद्देश्य के लिये           
हम अपना अभियान आगे बढाते है
और धरती पर भारत मे रहने के कारण
भारत से अपना नियंत्रण शुरू करने के लिये
भारत पर धरती वासियों का अधिपत्य कायम करने के लिये
आपसे सहयोग चाहते है
भारत मे जनता का राज है
ऐसा भ्रम फैला कर जन सहयोगि झूठी शान मे जी रहे है
जिसके करण असमानता
असमानता के कारण 100% समस्यायें हर धरती वासियों को दर्द दे रही हैं
इस भ्रम को हमने धरती वासियों को दिखा दिया है
गलत शासक जानता है कि उसका शासन काल समाप्त हो चुका है
पर वह अपनी सोच कि अंतिम वक्त तक लडता रहूँगा
की धारणा के कारण धरती वासियों को छल बल लालच मजबूर करके अपना बना कर टिका हुआ है
अब मौजूद असमान कानून के आधार पर
हम लुटेरों को जड सहित हटाने के लिये आप को अपने साथ
आम जनता द्वारा जाँच करने योग्य आधार के आधार पर 
बात करने के लिये आमंत्रित करते है
संविधान के तहत आप और हम बात करने के लिये कर्तव्य धारी हैं
कृपया धरती वासियों को ये 3 बाते बताने का कष्ट करें
न.1 जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 धारा 29, 5, 1, के तहत लिखी शर्तों को तोडने के बाद भी सभी सांसदों को उनके पदों के क्यों नही हटाया गया
न.2 संविधान के तहत सभी कार्यवाहियाँ जनता द्वारा जाँच करने योग्य आधार के आधार पर की जायेंगी यह आधार होते हुये भी ऐसा क्यों नही होता
न.3 यदि आप लुटेरों की सहायता के लिये  
हमे गलत जगह दौडाने का,
खामोश रहने का,
हमे सलाह के रूप मे धमका ने का  
कानूनी छल का,
गलत जानकारी देने का,
भुलाने के लिये विलम्ब कराने का,
लालच देने का,
हत्या आदि, गलत तरीकों के विषय मे सोच रहे हैं तो
सभी धरती वासी मिल कर बल पूर्वक अपने गलत सहायकों को उनके पदों से क्यों ना हटायें
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो

सोमवार, 18 जुलाई 2011

रिलीज़ 1064 धरती पर कुछ अव्यों की सूचि


धरती पर कुछ अव्यों की सूचि
    इग्लैन्ड के मुख्य पदाधिकारी
    अमेरिका के मुख्य पदाधिकारी
    भारत के मुख्य पदाधिकारी
    जर्मन व फ्रांस के मुख्य पदाधिकारी
    आदि  


धरती पर कुछ सफल व्यवस्थापकों की सूचि
    दलाई लामा
    परिवेज़ मुसर्रफ
    बेनज़ीर भुट्टो
    पाकिस्तानी हुकूमत कयाजी  
    चीन के मुख्य प्रबन्धक
    सद्दाम हुसैन
    ओसामा बिन लादेन
    गद्दाफी
    ईरान, ईराक व अफगानिस्तान के भूतपूर्व प्रबन्धक
    सोबियत संघ के भूतपूर्व मुख्य प्रबन्धक
    गूगल, विकिपीडिया, माइक्रोसोफ्ट के व्यवस्थापक      
    सासन को न चाहने वाले मोमडन मुसलमान
    अण्णा हजारे व रामदेव  
    बापू गांधी
    बहाई (लोटस मंदिर के मुख्य जन्मदाता)
    रतन टाटा
    ओम शांति के मुख्य प्रबन्धक     
    श्री 1008 स्वामी महेशा नन्द जी के परम शिष्य श्री स्वामी दयानन्द सास्त्री वेदांत   
    विशारद
    आदि              

रिलीज़ 1063 धरती व भारत के अव्यों व सफल व्यवस्थापकों को इस सन्दर्भ मे विचार करना श्रेष्ठ होगा

अव्य
असफल व्यवस्थापक
अव्य उन लोगों के लिये इस्तेमाल होने वाला शब्द है
जो जनता की जानकारी को
अपने निजी स्वार्थ के लिये
सुरक्षा की आड लेकर
गुप्त नीति के तहत
अपने पिता यानी जनता व रक्षकों को नही बताते
तब ये ही अव्यता अनंत अव्यों की हत्याओं का कारण बन जाती है
ये अव्य सफल व्यवस्थापकों की हत्या का कारण बन जाते है
सफल व्यवस्थापकों को परिस्थिति अनुसार अव्य का साथ छोड कर अपनी सच्चाई की जीवन शैली के साथ जीना उत्तम विकल्प है
अव्य सफल व्यवस्थापक का कभी सगा नही होता
तो सफल व्यवस्थापक यह जानते हुये भी अव्य के लिये पाप क्यों करता है
जबाब है अव्य का फैलाया हुआ मधुर माया जाल
जिसे सफल व्यवस्थापक समझता व जानता है
और 100% सफल व्यवस्थापक यह करते भी है
इसी लिये हर सफल व्यवस्थापक ही धरती पर स्वर्गीय व्यवस्था का आधार है
हे सफल व्यवस्थापक बदलाव का समय आ चुका है         
धरती व भारत के अव्यों व सफल व्यवस्थापकों को इस सन्दर्भ मे विचार करना श्रेष्ठ होगा
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो