मंगलवार, 26 जुलाई 2011

Release 1069 कलयुग की रामायण

Release 1069 कलयुग की रामायण
परम पूज्य, पवित्र, समान, सर्व हितकारी विश्व स्तरीय श्री कलरामायण का ज्ञान अमृत    
कलरामायण
कलयुग+रामायण
यानी कलयुग की रामायण  
इश की नीव करीब 300 सालों पहले प्रारम्भ हो चुकी थी
रामायण के बाद बुद्धि जीवी लोगों ने पवित्र ग्रंथों के आधार पर विश्व समान अध्यात्म व्यवस्था द्वारा करीब लाखों वर्षों तक लोकतंत्र व समानता को प्रधानता देते हुये व्यवस्था चलाई और इस बीच फिर से इन्द्रियों के भोग ने मानव को अपने वश मे कर लिया
यह युग कलयुग की शुरूआत थी
कलयुग
कल+युग
कल=काल, समय
युग=समय नापने की इकाई
यानी समय युग
समय का युग
यानी ऐसा युग जिसमे मानव ने विज्ञान की मदद से समय को काफी हद तक अपने नियंत्रण मे कर लिया,
यानी समय को नापने वाले सिद्धांतों को जान लिया और निजी हित के लिये उसे बदलने मे सक्षम हो गया और बदला,
जिस काम के लिये अनंत समय लगना चाहिये उस काम को पल भर मे करने की क्षमता प्राप्त कर ली
इस तीब्रता से काम को खतम करने की तकनीकी मरा जिंदा यानि डिज़िटल तकनीकी के आधार पर थी
इस पवित्र ग्रंथ के सभी लेख इसी तकनीकी द्वारा बनाये गये है     
अब धरती वासियों के सेवक धरती वासियों को देने के लिये अपने को ईश्वर कहने लगे
व धरती वासियों से लेने के लिये अपने को धरती वासियों का सेवक कहने लगे         
अध्यात्म का इस्तेमाल ताकतवर होने के लिये
मानव को अपने साथ लेने के लिये करने लगे
इस तरह अध्यात्म पुनः धरती वासियों के सेवकों का गुलाम बनने की कगार पर आ खडा हुआ
अंतिम फैसला इस युग मे वैज्ञानिकों के आधार पर होने लगा
और वैज्ञानिक धरती वासियों के सेवकों के तहत काम करने को विवश थे  
इसका प्रभाव धरती पर ये पडा कि विवादों ने पूरी धरती को अपने मे समेट लिया   
मौतों हत्याओं और अपराधों का सैलाब जैसा आकार और तीब्रता के साथ विकास होने लगा
धरती वासियों के सेवकों ने धरती को अकाल मौत की ओर धकेलना जारी रखा
मानवीय वैज्ञानिक चेतावनी पर चेतावनी देते जा रहे थे, प्रार्थना पर प्रार्थना करते जा रहे थे  बिलबिला रहे ये, गिडगिडा रहे थे
पर गलत नीति व नियंत्रण के अपने बनाये चंगुल मे धरती वासियों के सेवक इस कदर फंस चुके थे कि उनको प्रतिस्पर्धा मे जीत के लिये रण नीति बनाने के सिवाय कुछ भी दिमाग मे स्वीकार करना व्यर्थ लग रहा था   
ईश्वर को आभास होने लगा कि मानव धरती के जीवन को चाहते हुये भी नही बचा पा रहा   
ईश्वर का धरती पर युग प्रारम्भ करने से पहले
कलयुग के लिये समय सीमा तय करने का पूर्व अनुमान नष्ट होने लगा
तब ईश्वर ने समय से पहले धरती को मौत की ओर जाने से रोकने के लिये
अपने द्वारा निश्चित किये समय से पहले ही
धरती को बचाने के लिये अपनी लीलाओं को करने का काम प्रारम्भ शुरू कर दिया
उन्होंने भयंकर प्रचंड तबाही मचा कर मानव को अपने नाराज होने का ज्ञान कराया  
मानव समझ चुका था कि ईश्वर नाराज है और क्या कह रहे है
तब ईश्वर ने मानव के शरीर मे मानव द्वारा निर्णय करने की क्षमता पर अपने अंश का असर छोडना शुरू कर दिया
जो मानव को पुनः ईश्वर का अवतार रूपी प्रतीत होने लगा 
इस बार ईश्वर की ताकत व अवतार किसी एक शरीर मे नही था     
बल्कि लोकतंत्र के रूप मे परिवार, घराने, व वंश व समूहों के रूप मे था
जो धरती की कुल आबादी मे 99 की अपेक्षा 1 अनुपात मे था  
यानी हर 99 धरती वासियों पर करीब 1 धरती वासियों का सेवक था    
ये धरती वासी बडे शागिर्द, ज़िद्दी ताकतवर और खूंखार ईश्वर के अंश थे
इसी कारण धरती वासियों के सेवकों को अपने से ज्यादा इन के विचारों पर यकीन था
सेवक अपनी हर समस्या का समाधान इन्ही धरती वासियों से राय के नाम पर ले लेते थे
हर कार्यवाही छुपा कर अकेला कर के करते थे
इसे ओफिसीअली सिस्टम कहते थे  
जिससे गलत कार्यवाही को करने मे सफलता मिलती थी
ईश्वर ने ये गलत बात पकड ली
और अपने अंश के माध्यम से धरती वासियों के सेवकों तक पहुंचा दी
ईश्वर ने अपनी लीला के तहत ईश्वर के अंश को धरती वासियों के सेवकों के सामने पहुंचा दिया
धरती वासियों के सेवक बोले आप पर सरकारी धन व्यवस्था का अपमान करने का आरोप है  
क्या आप आरोप स्वीकार करते हो
ईश्वर अंश बोले हम आपको नही जानते कृपया अपना प्रमाण पत्र जाँचने के लिये हमे दे
यदि आप लोक तंत्र के नियमों के तहत सही सिद्ध हुये तो हम आपके सवाल का जबाब देने के लिये तैयार हैं
अन्यथा आप हमको आदेश देने की ताकत नही रखते
आप लोक तंत्र के तहत नियम व शर्तों के सही पाये जाने पर जज होते है
और आज धरती पर एक भी ऐसा धरती वासियों का सेवक नही बचा जिसने लोकतंत्र के नियम व शर्तों को ना तोडा हो
जिसके सबूत आपके कार्यालयों की फाइलों मे कैद है
इस लिये आप गैर कानूनी तरीके से इस पद पर बैठे है
जिस प्रकार आपस मे मिले हुये अधिकारी एक दूसरे के विरुद्ध कार्यवाही न करने लिये विवश होते है उसी प्रकार आप अपने को जीवन साधन देने वाले के विरुद्ध कार्यवाही ना करने के लिये विवश हो
ऐसी परिस्थिति मे हम आप पर भरोसा नही कर सकते
इस लिये जब तक ये गुप्त गलत कार्यवाही, अकेला करके करने वाली गलत कार्यवाही  
आम जनता द्वारा जांच करने योग्य आधार (जनता तक जानकारी पहुँचा ने के माध्यमों) के आधार पर नही होंगी
तब तक हम आपके सामने खामोश रहेंगे
तब धरती वासियों के सेवकों ने अपना गुस्सा मधुरता मे छुपा कर कहा
अपना दोष स्वीकार कर लो अन्यथा एक साल की कैद या 80000 रुपये जुर्माना देना होगा  
ईश्वर अंश ने फिर दोहराया जब तक सभी कार्यवाहियाँ
आम जनता द्वारा जांच करने योग्य आधार (जनता तक जानकारी पहुँचा ने के माध्यमों) के आधार पर नही होंगी
तब तक हम खामोश रहेंगे
धरती वासियों के सेवक बोले
आपको दोषी करार दिया जाता है
आप पर 45000 रुपये जुर्माना या तीन महीने की कैद का फैसला सुनाया जाता है
29.7.2011 को दोपहर 3 बजे जेल मे जाने के लिये द्वारिका कोर्ट वार्ड न. 310 मे हाजिर हो,
और इस तरह धरती पर ईश्वर ने पुनः विश्व समान अध्यात्म लोकतंत्र की व्यवस्था लागू करने के लिये अपनी लीला रूपी युद्ध प्रारम्भ कर दिया  
यह धरती वासी यानी ईश्वर का अंश इस युग की जंग का पहला सिपाही पहला कैदी पहला त्यागी और पहला योद्धा बना
इस लीला के तहत ईश्वर ने अपनी हार मान ली
जब ईश्वर से इश हार का कारण पूछा गया तो ईश्वर ने कहा कि ये हार असंख्य धरती वासियों को युद्ध के शुरू होने व जीतने के लिये युद्ध करने के लिये प्रेरित करेगी  
इस युग की लडाई की शुरूआत बहुत कठिन थी
जिसकी वजय से इसे सही जगह से शुरू करना कठिन था
पर अब हमने इसे इनके कानून से ही लडने वाले योद्धाओं को जन्म दे दिया है
जो पूरी धरती पर कोलाहल मचा रहे है
हम ये लीला पल मे खतम कर सकते है
पर इंसान को बिना दर्द स्वर्ग दे दिया तो
इंसान इस स्वर्ग की अहमियत को उचित प्रकार नही सम्भाल पायेगा    
मानव इसकी अहमियत को समझकर इसे सम्भाल कर रखे
इसके लिये चिकित्सा के रूप मे दर्द घाव लहू क्रूरता का होना आवश्यक हो सकता है
जिसकी शायद ज़रूरत ही ना पडे
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो

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