शनिवार, 23 जुलाई 2011

Release 1066 अपने शरीर के सुखों को अपना गुलाम बना कर समानता को लागू करने वाला शिव कहलाता है


शिव
श+इ+व
श=शरीर
इ=ईश्वर
व=वश   
शरीर, ईश्वर, वश
यानी शरीर ईश्वर माना जाता है जब मौज मस्ती को बश मे कर ले 
शरीर को वश मे करने वाला ईश्वर समान है
शरीर को वश मे करने का अर्थ है
जो एव के लिये गलत काम को स्वीकार नही करता
यानी समानता को लागू करने वाला
यानी अपने शरीर के सुखों को अपना गुलाम बना कर समानता को लागू करने वाला शिव कहलाता है
और ऐसा इंसान जब अकल्पनीय नक्षत्रों मे समानता लागू करता है
तो वह पीडित को परम शक्तिशाली परमात्मा के जैसा दिखने लगता है
तब पीडित सर्व हित के लिये उनका भगवान के अवतार के रूप मे प्रचार करने लगता है,
पर जब किसी गलत शासक को अपनी क्रूर शासन के बन्द होने का खतरा महसूस होता है तो वह गलत शासक अपने को सही कहते हुये उस शिव स्वरूपी इंसान को गलत कहता है, अपने से बात करने के बहाने उनको हराने की कोशिश करता है, उस शिव स्वरूपी इंसान की सुरक्षा गोपनीयता लेकर उसे हराने के लिये, अपने को बडा बनाने के लिये गुस्सा दिलाता है, ललकार ता है, चुनौती देता है, अपमानित करता है, दुष्टता दिखता है, नुकसान करता है, अपमानित करने वाला प्रचार करता है,     
जिससे शिव स्वरूपी इंसान के निश्चित उपकार जीवन काल की हत्या होती है
जिससे सब के सुखों की हत्या होती है
सबके सुखों की हत्या रोकने के लिये भगवान स्वरूपी इंसान गलत शासक से दूरी बनाये रखते है जब गलत इंसान उन भगवान स्वरूपी इंसान की हत्या की कोशिश करता है तो सब के सुखों की सुरक्षा के लिये अपनी सुरक्षा करते हुये शिव स्वरूपी भगवान उस गलत हत्यारे की लीला समाप्त कर दंड देते है, ऐसे शिव स्वरूपी इंसान के जन्म से अंत तक के जीवन काल व दर्द मिटाने वाले कामों को भगवान का अवतार और भगवान की लीलायें कहते हैं

अवतार
अ+व+तार
अ=आनेवाला
व=वास, रहने वाला
तार = पार पहुँचाने वाला, दर्द मिटाने वाला, मार्ग दिखाने वाला, सहायता करने वाला       
यानी धरती पर आ कर, रह कर, दर्द खतम करने वाला
ऐसा करने वाले, जन्म ले चुके, भगवान शिव के अंश यानी शिव हैं
इस सत्य को मानने वाले शिवोपासक 

शिवोपासक
यानी शिव + उपासक
शिव को मानने वाले
शिव = सही राह दिखाने वाला
उपासक = मानने वाला
भक्त और भगवान
यानी गुरू और शिष्य
जानकारी देने वाला व जानकारी लेने वाला
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो 

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