शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

Release 1059 ये धरती वासियों का सरकारों को काबू करने का बिना भेद-भाव का कानून है

ये क्या है?
ये धरती वासियों का बिना भेद-भाव का कानून है

इससे क्या होगा?
धरती पर इस कानून के लागू होने से
हर इंसान की हर चाहत
बिना अपराध किये
बिना झगडे
बिना हत्या करे
समय पर
जगह पर
निःशुल्क
बिना भेदभाव के
सम्मान सहित
स्वतन्त्रता सहित   
अपने आप पूरी होती रहेगी   

इससे इंसानों को क्या फायदा?
आप अपने को व अपनों को जिन्दा रखने के लिये
जो भेद-भाव, चिंता, दहशत, डाट मार, मज़दूरी, अपमान, परेशानी, गुलामी, मजबूरी, सहन करते है इनसे जीवन भर के लिये छुटकारा मिल जायेगा   
जीवन भर स्वर्गीय जीवन शैली के स्तर का हर सामान व सुविधायें   
निःशुल्क
समानता के साथ
समय पर
आपके घर या अति सुलभ स्थान पर
अधिकार व सम्मान के साथ आप को प्राप्त कराई जाती रहेगी
जिसमे घर, भोजन, चिकित्सा, शिक्षा, मनोरंजन, भोग, यातायात, न्याय, सुरक्षा, काम, सभी सामान व सुविधायें आदि जिम्मेदारी के साथ जीवन भर दी जाती रहेंगी             

आज की सबसे बडी मूल समस्या क्या है?
तो आज की सबसे बडी और मूल समस्या है धरती के अंत का खतरा        

इस खतरे का समाधान क्या है?
धरती वासियों का बिना भेदभाव का असरदार कानून  

यदि धरती का अंत हो गया तो मानव जीव जंतु और प्राकृतिक सम्पदा का भी अंत हो जायेगा
इतिहास में हम अनपढ, नालायक, मूर्ख, नमक हराम, आलसी, डरपोक कह लायेंगे
जो कि ईश्वर द्वारा उपहार मे मिली जिन्दा धरती की कदर न कर सके
सुख के बिस्तर पर होते हुये दुख सहन करते रहे  
सरकार शान के लिये धरती की हत्या कर रही है    
यदि नक्षत्र पर ध्यान दें तो
ना तो हम सबसे नजदीकी तारे तक पहुच पाये है
और ना धरती जैसा जिन्दा ग्रह खोज सके है
ऐसे मे ये कहना कतई गलत ना होगा कि
जिन्दा धरती पूरे नक्षत्र मे जीवन का बीज है
और हमे ईश्वर के अनमोल उपहार यानी इस बीज की रक्षा कर इसे नक्षत्र मे बिखेरना है   
ताकि यदि सरकारें युद्ध व युद्ध के लिये धरती से गलत खनन कर या युद्ध से धरती की हत्या कर भी दे
तो पुनः धरती पर प्राकृतिक जीवन को जन्म दिया जा सके
तो यहां सवाल ये उठता है कि सरकारों को धरती की हत्या करने से कैसे रोका जाये?
हताश धरती बाड, सूखा, सुनामी, भूकम्प, लावा, तूफान, बवंडर, भवर, बिजली, आदि के रूप मे नालायक मानव को जबाब क्यों ना दे?
हताश धरती तबाही क्यों ना फैला ये?
हताश धरती कब तक सहे?
हताश धरती कब तक माफ करे?        
सरकारों के गलत नीति व नियंत्रण को इस विनाश का कारण क्यों ना माना जाये?
सरकारों के गलत नीति नियंत्रण 5 तरह धरती की हत्या कर रहे है

जिसमे न.1 पर है युद्ध के नियंत्रण हीन तरीके  
न.2 पर है युद्ध के लिये सेना, हथियार, सामान आदि को और ताकतवर बनाये रखने के लिये धरती का गलत खनन
न.3 पर है बचे हुये घातक तत्वों को स्वतंत्र रूप से बिखेर देना
न.4 पर है जंगलों की सीमा से अधिक गलत कटाई
न.5 पर है गैर ज़रूरी गलत यंत्र उत्पादन    

तो अब यदि हमे युद्धों को रोकना है तो
युद्धों को रोकने के लिये युद्धों की शुरूआत के कारणों की सूक्ष्म जांच करनी होगी
युद्धों की शुरुआत के कारण को खोजना होगा  

युद्धों के 41 मुख्य कारण होते है
जिनमे     
न.1 है भ्रमित करके, छल करके, मजबूर करके, सहमति लेना 
न.2 सभा मे गलत तरीके से सहमति लेना 
न.3 ताकत का इस्तेमाल करके सभा मे सहमति लेना 
न.4 भव्यता दिखा के सभा मे सहमति लेना
न.5 अनुशासन की बात कह के चुप करके सभा मे सहमति लेना 
न.6 सभ्यता की बात कह कर सभा मे सहमति लेना 
न.7 समय कम है कह कर सभा मे सहमति लेना 
न.8 बाद मे बात करेंगे कह कर सभा मे सहमति लेना,
न.9 मुद्दे के प्रभाव को छुडवा कर सभा मे सहमति लेना
न.10 मुद्दे के आधार को छुडवा कर सभा मे सहमति लेना
न.11 मुद्दे से सम्बन्धित मुद्दों को छुडवा के सभा मे सहमति लेना 
न.12 मुद्दे को अलग करके, अकेला करके सभा मे सहमति लेना 
न.13 बहस ना होने दे के सभा मे सहमति लेना 
न.14 शोर मचा रहा है ऐसे अपमान करके सभा मे बोलने ना दे के सहमति लेना
न.15 100 पन्नों का मुद्दा 1 लाइन मे बोलो, बोलना सीखो अयोग्य कह कर सभा मे सहमति लेना
न.16 100 पन्नों का मुद्दा याद करके बोलो नही तो अयोग्य हो कह कर सभा मे सहमति न.17 यदि 40 साल तक केस चले तो 40 सालों तक मुद्दा याद रखो यह कहकर पीडा देना   
न.18 40 जगह बदला जाये तो 40 जगह पूरा मुद्दा 40 बार दोहराओ ऐसा कह के सभा मे सहमति लेना
ऐसी गलत बातों व तत्वों का इस्तेमाल कर के सभा मे जबरन सहमति लेना       
न.19 जबाब देने से बचना
न.20 खुलासा करने से बचना
न.21 जबाब ना देना
न.22 जबाब गलत देना
न.23 जबाब भ्रमित करने वाला देना  
न.24 मुलाकात ना करना
न.25 बात ना करना
न.26 अपना नाम पता सम्पर्क सूत्रों को गलत देना, बेअसर खानापूर्ती व व्यर्थ का देना  
न.27 शिकायत लेने की जानकारी को छिपाना  
न.28 शिकायत के प्रावधान का प्रचार न करना
न.29 शिकायत के प्रावधान का प्रचार अधूरा करना
न.30 शिकायत के प्रावधान का प्रचार बेअसर करना
न.31 शिकायत के प्रावधान का प्रचार खानापूर्ती के लिये करना  
न.32 शिकायत के प्रावधान को बाधित करना
न.33शिकायत के प्रावधान को बन्द कर देना 
न.34 शिकायतों की सुनवाई ना करना
न.35 शिकायतों के जबाब ना देना
न.36 शिकायतों के सम्बन्ध मे बात ना करना
न.37 शिकायतों के सम्बन्ध मे मुलाकात ना करना  
न.38 बिना जाँचने योग्य आधार के कार्यवाही करना
न.39 जांच करने योग्य आधार को नष्ट करके कार्यवाही करना    
न.40 बेअसर कार्यवाही करना   
न.41 खानापूर्ती के लिये कार्यवाही करना
न.42 आतम रक्षा करने वालो के साथ सौदागरी करना, तबाह कर देना, कैद कर देना, हत्या कर देना
न.43 जाँच करने योग्य आधार को नष्ट करके खानापूर्ती व बेअसर कार्यवाही करना
अंतिम फैसला करने वाली ताकत यानी संसद का काबू मे ना होना

इस कारणों से असमानता पैदा होती है
असमानता भेद-भाव ऊच-नीच सम्मान-अपमान नौकर-मालिक धनी-गरीब स्वस्थ-बीमार  खुशी-दुखी पढा लिखा-अनपढ सेवक-शासक आदि भेदभाव को जन्म देता है
ये भेद भाव नफरत पैदा करता है
और नफरत खतरा पैदा करती है
खतरा सुरक्षा की चाहत पेश करता है
सुरक्षा की चाहत खतरा मिटाने की कोशिश करता है  
ये कोशिश हत्याओं को उचित ठहरा ती हैं
हत्यायें युद्ध को उचित ठहरा ती हैं
युद्ध केवल लक्ष्य को ही ध्यान रखने की इजाजत देता है
जिससे समझ लुप्त हो जाती है
और तब मजबूर होकर अपने जीवन के आधार को भी नष्ट करने का मानव फैसला ले लेता है   
और अपने व धरती के अस्तित्व को खतम कर देता है
तो यदि नक्षत्र मे अपने जीवन को कायम रखना है तो
सरकारों द्वारा युद्ध के लिये धरती के अन्धाधुन्ध खनन को रोकना होगा
धरती को बचाना होगा
आपने पढा होगा कि धरती का जन्म खरबों वर्ष पहले हुआ था
आप इतिहास मे देख सकते है कि धरती को जिन्दा करने मे प्रकृति ने खरबों वर्षो तक महनत की
तब करोडों साल पहले धरती पर वनस्पति व जीवों ने जन्म लिया
प्रकृति ने फिर महनत की और लाखों वर्षों पहले जीवों को इंसान के रूप मे परिवर्तन किया                
इंसान ने धरती को सदैव माता का दर्जा दिया और धरती मां ने अपना सबकुछ इंसान को समर्पित कर दिया
पर गये 500 सालों मे इंसान ने विकास के नाम पर धरती से इतना प्राकृतिक खनन कर डाला की प्रकृति इसे पुनः ठीक नही कर पा रही और अब धरती ने इंसान की परवाह ना कर आत्म हत्या की और चल पडी है
इन्सान ने प्रकृति की खरबों सालों की महनत को बीते 100 सालों मे समाप्त कर दिया
अब हमे अपनी माता को आत्म हत्या करने से रोकना होगा
उससे माफी मांग कर उसकी रक्षा के लिये कसम खानी होगी
अन्यथा ना धरती रहेगी ना मानव प्रजाति ना जीवन का अस्तित्व
और हम ये होने नही देंगे
हम अपनी माँ को आत्म हत्या नही करने देंगे
हम खरबों मासूम इंसानों, नक्षत्र मे जीवन के बीज, धरती पर जीवन के अस्तित्व को कुछ लोगों की शान की खातिर तबाह नहीं होने देंगे
हम अपनी माँ का हर आँसू साफ कर अपनी मां को अनुशासित बन कर और बना कर दिखायेंगे        
इन 500 सौ सालों मे जितना घायल धरती को किया गया उतना इतिहास मे कभी देखने को ना मिला
गये 100 सालों मे माता ने जितनी तबाही मचाई है उतनी पहले देखने नही मिली        आम इंसान से सरकारों तक पर नियंत्रण वाला कानून बना ना ही होगा
सरकारों द्वारा धरती वासियों को काबू मे करने के लिये तो कानून बना हुआ है ही
पर धरती वासियों द्वारा सरकारों को नियंत्रण मे करने का कानून नही है
अगर है तो सफल नही है
असरदार नही है
खानापूर्ती के लिये है
समय सीमा वाला नही है
यहां जरूरत है एक ऐसे कानून की ताकत की प्रावधान की जो धरती पर सभी सरकारों को नियंत्रित कर सके
इसी के लिये बनायी गयी है ये कानून व्यवस्था
न.1 अधिकारी बात या शिकायत को रद्द करने का आधार, कानून कारण बता कर ही रद्द करेगा
प्रत्येक कार्यवाही जांच करने योग्य आधर के आधार पर ही होगी
यह कार्यवाहियाँ अंतिम फैसले तक लगातार चलती रहेंगी 
यदि कोई बडा लेख बीच मे आया तो उसे छोटा करना होगा सरल करना होगा एक दो वाक्यों मे करना होगा  
सलाहकार नहीं दिया जायेगा
दिन मे की जाने वाली सभी क्रियायें बन्द वार्ड मे होंगी   
धरती पर मौजूद सभी सेना हथियार आदि पर धरती के इस न्यायलय का पूरा नियंत्रण होगा
धरती पर मौजूद सभी सेना हथियार आदि पर इस न्यायालय द्वारा जांच व रख रखा व की  जानकारी लेने का अधिकार होगा
अधिकारी अपनी जानकारी के आधर पर फैसला देगा ना कि न्याय माँगने वाले की तकनीकी कमी के आधार पर 
समाधान के विलम्ब या रद्द होने का कारण कानून सहित जांच करने योग्य आधार के साथ बतायेगा     
समाधान देने में असफल रहने पर या देर करने पर अपराधी सिद्ध हो जायेगा
अधिकारी पीडित का नुकसान दंड के रूप मे देगा
जो डबल के साथ जेल भी हो सकता है  
जेल का आधार पीडित की झाडी पर निर्भर होगा  
दोबारा उस पद पर नही आ सकेगा, अपराधी से सर्व हित की राय ली जा सकेगी, दोबारा इमान दारी की परीक्षा देकर पुनः एक बार और लग सकता है
ये जांच आम इंसान भी कर सकता है  
इस तरह धरती की हर समस्या का 100% अंत हो जायेगा
भेदभाव खतम हो जायेगा   
विकास हजारों गुना बड जायेगा
हर इंसान निडर निश्चिंत और आज़ाद हो जायेगा
धरती फिर अपने बुरे बच्चों को माफ कर अपना क्रोध शांत करेगी
तब मानव जीवन के बीज को नक्षत्र मे बिखेर सकेगा
जय धरती जय मानवता
विश्व सेवक व रक्षक
श्याडो
      




    
   





  
  
 

                        

  
    
      

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